पनिहार के जैनतंत्रपीठ पर क्षुल्लकश्री योगभूषण महाराज का पहली बार चातुर्मास कलष स्थापना हुई चातुर्मास जीवन परिवर्तन करने का अनमोल अवसर है-क्षुल्लकश्री क्षुल्लकरत्न श्री योगभूषण महाराज का 9 वां सन्मति मंगल कलष स्थापना पनिहार मे हुई
Jul 28 2019
ग्वालियर-चातुर्मास जीवन परिवर्तन करने का अनमोल अवसर है। जव व्यक्ति के जीवन मे सिजन, विसन व रिजन ये तीन तत्व नही होगे, तब तक वे अपने जीवन मे कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है। अच्छा वातावरण अच्छें विचारों को पैदा करता है तथा अच्छें विचार अच्छें आचरण के जनक है। यह विचार (डॉ.) क्षुल्लकरत्न श्री योगभूषण सागर महाराज ने आज रविवार को पनिहार स्थित श्री आदीष्वर धाम दिगंबर जैन अतिषय क्षेत्र भौंरा में वर्शायोग कलष स्थापना समारोह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहाकि चातुर्मास में गृहस्थ मनुश्यों को संतो ंके समागम का मौका मिलता है ओर वह उनके सानिध्य में बैठ कर मन की रीती हुई गागर को धर्मचरण से भरता है।
मंदिरं समिति के अध्यक्ष श्री स्वरूपचन्द्र जैन, महामंत्री प्रकाष जैन, गुलजारी लाला जैन, निर्मल पाटनी, महेंद्र जैन, अनूप सोगानी, राजेष जैन, अलोक जैन, आदिनाथ पनिहार मंडल, पार्ष्वनाथ सोषल ग्रुप षिवपुरी एवं भिन्ड, मुरैना, डाबरा, षिवपुरी, दिल्ली, आगरा, आदि जगह से आए गुरूभक्तो ने क्षुल्लकश्री के चरणो मे श्रीफल चढ़ाकर आर्षिर्वाद किया। संचालन मुन्नलाल जैन व प्रतिश्ठाचार्य पंडित आषीश जैन एवं आभार प्रकाष चंद्र जैन ने ंिकया। समिति ने क्षुल्लकश्री के गृहस्थ के पिता ब्रहाचारी विष्वम्भर दयाल एवं माता ब्रहाचारिणी मुन्नी दीदी का सम्मान कमेटी ने ंिकया।
इंहोने किया कार्यकय का षुभारंम
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि क्षुल्लक रत्न योगभूशण सागर महाराज के कलष स्थापना कार्यकम का षुभारंम आदिनाथ पनिहार मंडल एवं पारसनाथ सोषल ग्रुप ने जैन ध्वजरोहण कर ंिकया। राजेद्र भाडरी एवं गणेषीलाला ने भगवान आदिनाथ के चित्र का आनवरण एवं दीप प्रज्जलन निर्मल पाटनी एंव प्रदीप जैन तथा आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के चरण पादुकओ का प्रच्छालन जैन समाज के लोगो ने किया। स्वागत नृत्य मान्या जैन एवं आदिनाथ महिला मंडल ने डाडिया नृत्य ंिकया। भक्तिमय भजनो बाहर से आये अनेको भक्तगण भक्ति मे झूमे।
इन्हें मिला मंगल कलष स्थापना का पुण्य, 11 कलषो स्थापना हुई
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि क्षुल्लकश्री योगभूशण सागर महाराज के चातुर्मास का पहला मुख्य (सर्वतोभद्र ) मंगल कलष भागचंद्र जैन परिवार गोटेगांव को मिला। दूसरा (सर्वध सिद्धि ) कलष गणेषीलाला जैन षिवपुरी तथा तीसरा (संमति) कलष पवन जैन पत्रकार परिवार ग्वालियर एवं स्वरूपचंद्र जैन षिवपुरी, षैली जैन ग्वालियर, एन, के जैन षिवपुरी के साथ माया जैन आगरा, राजेद्र जैन मुरैना, विश्णु जैन गोटेगांव, प्रकाषचंद्र जैन षिवपुरी सौभाग्य प्राप्त हुआ। क्षुल्ल्कश्री एवं प्रतिश्ठाचार्य पंडित आषीश जैन दिल्ली ने विधि विधान के साथ मंगल कलष की स्थापना कराई गईं।
तंत्र मंत्र की साधना की भूमि पर चातुर्मास की आराधना होगी
पनिहार जैन मदिर में खुदाई के दौरान लगभग 1500-2000 वर्ष प्राचीन 11 वीं-12 वीं शताब्दी की श्वेत वर्ण की विशाल अतिशयकारी मनोहारी जिन प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। श्री आदिनाथ, अजितनाथ, संभवनाथ, सुमतिनाथ, सुपार्श्वनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, धर्मनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी की ये प्रतिमाएं हैं। इनमें श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा सबसे बडी है जिससे उसे ही यहॉं का मूलनायक माना गया है! प्राचीन जैन मंदिर है जहां स्थापित जैन प्रतिमाओं के चिन्ह उल्टे हैं जिससे ज्ञात होता है कि ये तंत्र मंत्र की साधना की भूमि रही है। यहाँ विराजित श्री आदिनाथ भगवान, श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान एवं श्री पार्श्वनाथ भगवन बहुत चमत्कारी है जिनके दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
संपादक
Rajesh Jaiswal
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