-पनिहार के जैनतंत्रपीठ पर क्षुल्लकश्री योगभूषण महाराज का पनिहार में पहली बार चातुर्मास होगा पनिहार में (डॉ.) क्षुल्लकरत्न श्री योगभूषण महाराज का 9 वां सन्मति मंगल कलष स्थापना आज होगी
Jul 27 2019
ग्वालियर- ग्वालियर शिवपुरी मार्ग पर पनिहार स्थित श्री आदीष्वर धाम श्री दिगंबर जैन अतिषय क्षेत्र भौंरा में रहस्यमयी गुफाओं से मंडित अतिप्राचीन जैन तंत्रपीठ, सिद्धभूमि पर पहली बार परम पूज्य, त्रिलोक तीर्थ प्रणेता, समाधि सम्राट, आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी महाराज के अंतिम दीक्षित एवं परम पूज्य, सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य परम श्रद्धेय, मंत्र महर्षि, ज्योतिष प्रज्ञ, धर्मयोगी (डॉ.) क्षुल्लकरत्न श्री योगभूषण जी महाराज का 9 वां सन्मति वर्षायोग - 2019 स्थापित किया जाएगा। जिसकी विधिवत मंगल कलश स्थापना दिनांक 28 जुलाई, रविवार को प्रातः 10 बजे क्षेत्र परिसर में ही होगी।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्ष कलम ने बताया ंिक परम श्रद्धेय धर्मयोगी गुरुदेव (डॉ) क्षुल्लक रत्न श्री योगभूषण जी महाराज के चार माह चातुर्मास आराधना के लिए मंगल कलष की स्थापना प्रात-10 बजे से कार्यक्रम बडे धूमधाम के साथ आयोजित किया जाएगा। इस क्षेत्र पर क्षुल्लकश्री पहली पर चातुमार्स करेगे। मंगल कलष स्थापना के कार्यक्रम का षुभारंभ आचार्य श्री विद्याभूशण संमति सागर एवं ज्ञान सागर महाराज के चित्र का अनवरण, दीप प्रज्वलित, पाद प्रच्छालन, षास्त्र भेंट, आरती एवं मुनिश्री के मंगल प्रवचन होगे। चातुर्मास कलष स्थापना में कभी गुरूभक्त पहॅुचकर श्रीफल भेंट करेगे।
ग्वालियर से निःषुल्क बसे लगेगी, कई षहरो से बसों से पहुॅचेगे श्रद्धालुगण
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि पनिहार मे मंगल कलष स्थापना में सम्मालित होने के लिए ग्वालियर से श्रद्धालुओ के लिए डी.डी नगर, मुरार, षिदें की छावनी, महावीर धर्मषाला नई सडक, विनय नगर, लोहमंडी उपग्वालियर, ठाठीपुर, गोरखी गेट माधौगंज, आनंद नगर आदि जगहो से निःषुल्क बसे उपल्बध रहेगी। वही दिल्ली, जयपुर, बैंगलोर, आगरा, मुरैना, भिण्ड, मैनापुरी, शिकोहबाद, शिवपुरी, मेरठ, बडौत आदि अनेक नगरों से हजारों भक्त श्रद्धालु पहुंचेगे।
भूगर्भ से प्रगट हुई जैन प्रतिमा, ये तंत्र मंत्र की साधना की भूमि रही है
विदित हो कि पिछले कई वर्षों से पनिहार जैन मदिर में पूज्य श्री के सानिध्य में इस अति प्राचीन जैन तंत्र पीठ के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। खुदाई के दौरान लगभग 1500-2000 वर्ष प्राचीन 11 वीं-12 वीं शताब्दी की श्वेत वर्ण की विशाल अतिशयकारी मनोहारी जिन प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। श्री आदिनाथ, अजितनाथ, संभवनाथ, सुमतिनाथ, सुपार्श्वनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, धर्मनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर स्वामी की ये प्रतिमाएं हैं। इनमें श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा सबसे बडी है जिससे उसे ही यहॉं का मूलनायक माना गया है! प्राचीन जैन मंदिर है जहां स्थापित जैन प्रतिमाओं के चिन्ह उल्टे हैं जिससे ज्ञात होता है कि ये तंत्र मंत्र की साधना की भूमि रही है। यहाँ विराजित श्री आदिनाथ भगवान, श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान एवं श्री पार्श्वनाथ भगवन बहुत चमत्कारी है जिनके दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
संपादक
Rajesh Jaiswal
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