जीवन का अर्थ है अंदर छिपी हुई षक्तियों को प्रगट करना-भाडरी 9 से 16 जुलाई तक आठ दिवसिया श्री 1008 सिध्दचक्र महामंडल विधान महोत्सव मे अर्ध्य समर्पित किए

Jul 16 2019

  
   ग्वालियर- जीवन का अर्थ अंदर छिपी हुई षक्तियों को प््रागट करना, आत्मा के सगींत को सुनना एवं ऐसा कार्य करना जिसमें आनंद हो एवं मन को षंान्ति मिलती हो। जीवन का अर्थ यह कदापि नहीं कि हम जिंदा हैं। खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना, करते हुए भी जीवन मुर्दे के समान है। जिस कार्य को करने में आंनद की अनुभूति हो वही कार्य जीवन की सफलता को देने वाला होता हैं। यह विचार विधानचार्य पडित सुनील भडारी ने आज आठवे दिन मंगलवार को दाना ओली स्थित दिगंबर वरैया जैन मंदिर में चल रहें आठ दिवसिया सिध्दचक्र महामंडल विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
  इस मौके पर आयोजन समिति के श्रमण संस्कृति परमार्थ के अध्यक्ष इंजी, भरत जैन, सचिव वीरेंद्र जैन, नीरज जैन, जयकुमार जैन एवं वरैया मदिर समिति के सुभाश वरैया, कमल वरैया, चंद्रप्रकाष जैन, पारस जैन, प्रवक्ता सचिन जैन आदर्ष कलम आदि मौजूद थे।
इंद्रो ने जयकारो के साथ अभिशेक, मुनिश्री ने अपने मुखबिंद से षांतिधार कराई
       जैन समाज प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि महोत्सव के आठवें दिन पं. सुनील कुमार जैन भंडारी ने मंत्रउच्चरण के साथ भगवान जिनेन्द्र का अभिशेक सौधर्म इंद्र ईजी. भरत जैन विरागी अध्यक्ष श्रमण संस्क्रति परमार्थ संस्थान सहित इंद्रो जयकारो के साथ किया। मुनिश्री संस्कार सागर ने अपने मुखबिंद से भगवान शान्तिधारा करने का सौभाग्य श्री सुरेश चन्द जैन घाटीगॉव वालों को प्राप्त हुआ। अभिशेक उपरांत संगीतकार अनुपमा जैन ने भक्ति भजनो से इंद्र-इंद्राणियों को भक्ति से भगवान की आरती कराई।
  महोत्सव के आठवें दिन इंद्र-इंद्राणियो ने अतिंम 1024 अर्घ्य किये समर्पित
       इस विधान में इंद्र-इंद्र्रणियो ने मुकुट माला एवं पीले वस्त्र धारण कर भक्ति भाव के साथ पूजा आर्चन कर सिध्दप्रभू की आराधान करते हुये 1024 महाअर्घ्य भगवान जिनेन्द को समर्पित किए। षाम को भगवान का भजन गुणगान कर दीपो से आरती उतारी गई।
मुनिश्री के सानिध्य में विधान आज समापन होगा
      जैन समाज कव प्रवक्ता सचिन जैन ने बतायाकि प्रात 7 भगवान का अभिशेक, पूजन एवं विष्वषांति महायज्ञ के उपरांत मुनिश्री के मंगल प्रवचन एवं भगवान का पुन वेदी विराजमान ंिकया जाएगा।