मेहनत की दम पर नवल ने पाया अच्छा मुकाम मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नवल के लिए नई ऊर्जा लाई

Jul 06 2019

 

 जहाँ चाह हैए वहाँ रहा भी है। कुछ करने की तमन्ना हो तो व्यक्ति के लिए काम की कमी नहीं है। नवल किशोर सिसोदिया ने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिखाया है। रोज सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक काम कर उसने अपने आपको और अपने परिवार को स्थापित कर लिया है। पढ़.लिखकर काम की तलाश करते.करते किराए की ऑटो चलाकर बमुश्किल अपने परिवार का जीवन यापन करने वाला नवल अब खुद की गाड़ी का मालिक है।
    नवल के जीवन में नई दिशा तब आईए जब उसे मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की जानकारी प्राप्त हुई। बैंक में संपर्क करने पर उसे स्वयं की गाड़ी के लिए लोन मिल सकता है। यह जानकर उसने ऑटो के लिए आवेदन किया। भारतीय स्टेट बैंक सिटी सेंटर की शाखा से दो लाख रूपए का ऋण मंजूर हुआ। योजना के तहत 30 प्रतिशत मार्जिन मनी भी नवल को प्राप्त हुई। नवल अब खुद की ऑटो चलाकर 15 से 20 हजार रूपए माह कमा रहा है।
    नवल किशोर सिसोदिया ने बताया कि वह प्रतिदिन प्रातरू 6 बजे घर से निकलते हैं। स्कूली बच्चों को एकत्र कर स्कूल छोड़ता है। उसके पश्चात दिन भर यात्रियों को उनके बताए स्थान पर छोड़ने के साथ ही शाम को संभागीय जनसंपर्क कार्यालय में जाकर समाचार पत्रों के दफ्तरों में शासकीय डाक पहुँचाने का कार्य भी करता है। इस प्रकार रात 10 बजे तक मेहनत कर सम्मानजनक राशि एकत्र कर पाता है। नवल प्रतिमाह 3700 रूपए बैंक की किस्त जमा करने के पश्चात भी अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। चार बच्चोंए पत्नी और अपनी बुजुर्ग माता के साथ नवल खुश है। नवल का कहना है कि अब उसे किराए की गाड़ी चलाकर किराया देने की आवश्यकता नहीं है। स्वयं की गाड़ी का मालिक है और जब चाहे तब गाड़ी निकालकर कार्य करने की स्वतंत्रता भी है।
    नवल सिसोदिया के चारों बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। नवल ने खुद ने भी बीए तक की परीक्षा पास कर रखी है। उसकी इच्छा है कि उसके बच्चे पढ़.लिखकर समाज में अपना अलग मुकाम बनाएं। बच्चों की शिक्षा.दीक्षा के लिए वह मेहनत से मुँह नहीं मोड़ रहे हैं। उसका विश्वास है कि उसकी मेहनत उसके परिवार को अच्छा जीवन देने के साथ.साथ बच्चों को व्यवस्थित जीवन जीने की स्थिति भी प्रदान करेगा। नवल का मानना है कि युवाओं को केवल शासकीय नौकरी के पीछे नहीं भागना चाहिएए बल्कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपना स्वयं का रोजगार स्थापित करना चाहिए। उसका कहना है कि काम करने वालों के लिए काम की कमी नहीं है। जरूरत है इच्छा शक्ति की।

सहायक संचालकए मधु सोलापुरकर