मुनिश्री विहर्श सागर महाराज का मंगल प्रवेष लोहमंडी मे हुआ, मंदिर हुए प्रवचन अपना ज्ञान ही अपने काम आता है, दूसरो का नहीः मुनिश्री

Jul 05 2019


        ग्वालियर-ज्ञान की आराधना करने वाले के पास धन खुद-ब-खुद चल आता है। ज्ञान से बढ़कर कुछ नही होता। दूसरे के ज्ञान पर उत्साहित ना हो, क्योंकि संसार में अपना ज्ञान अपने काम आता है। दूसरों का नही आता। यह विचार जैन राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर ने आज षक्रवार को लोहमंडी स्थित लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर में मंगल प्रवेष के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मंच पर मुनिश्री विजयेष सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री विश्वोत्तर सागर महाराज भी मौजूद थे। प्रवचनो से पहले आज मुनिश्री का मंगल प्रवेष उप ग्वालियर लोहमंडी जैन मंदिर में हुआ। जैन समाज के लोगो ने आरती उतारकर आगवानी की।
         मुनिश्री ने कहा कि ज्ञान की जानकारी और बुद्धि तीनों अलग-अलग चीज है। ज्ञान और जानकारी की चोरी हो सकती है, जबकि बुद्धि की नहीं होती। ज्ञानी व्यक्ति हमेषा लड़ाई-झगड़े से दूर रहता है। सूखी दाल पीसने पर आवाज आती है, लेकिन गीली दाल पीसने का आवाज नहीं आती। हमारी आत्मा भी ज्ञान से गीली हो, तो लड़ाई-झगड़े नही होते है। ज्ञानी जहां भी रहेंगे, वहां झगड़े नहीं होगें, चाहे वह घर, मोहल्ला अथवा देष ही क्यों न हो। मुनिश्री ने कहा ंिक धन याने लक्ष्मी को भी वहीं संभाल सकता है, जिसके पास बुद्धि होती है। पत्नी को श्रीमती और पति को श्रीमान कहते है। श्री में लक्ष्मी का और मति बुद्धि का रूप है, जबकि श्रीमान में धन के साथ सम्मान जुडा है। लक्ष्मी खडी रहती है। जबकि ज्ञान और बुद्धि बैठे मिलते है। इस मौके पर मन्दिर कमेटी के अध्यक्ष पदमचंद जैन, मंत्री देवेद्र जैन, नवरंग जैन, दिलीप जैन, राहुल जैन, अभिलाश जैन, रविन्द्र जैन, विमल जैन, मनीश जैन, आलोक जैन एवं प्रवक्ता सचिन विषेश रूप से उपस्थित थे।
क्षुल्लकश्री ने केषलोच किए, रख उपवास, जैन संत करते है केषलोंच
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया ंिक क्षुल्लक श्री विश्वोत्तर सागर महाराज के केषलोंच मुनिश्री विहर्श सागर एवं बहाचारी प्रदीप षास्त्री ने किए। जैन संत स्वयं अपने अपने सिर और दाढी के बालो को अपने हाथो की कैंची बनकर शरीर के बालों को हाथों से उखाड कर केशलोचन करते है। दिगंबर संतो को हर 2-4 माह में केशलोंच करना ही अनिवार्य होता है क्यूंकि जब दाढ़ी और मस्तक, मूँछ के केश बड़े होते है तो उनमे छोटे छोटे जीव उत्पन्न होने लगते है। ऐसे दोषों से बचने के लिए दिगंबर मुनि आगमानुसार केशलौंच करते हैं।जिसस दिन मुनिश्री केंषलोचन करते है उस दिन उपवास रहते है। वैसे जैन मुनि 24 घटें में एक बार भोजन करते है।
आज ग्वालियर से आगरा चातुर्मास के लिये मंगल विहार करेगें
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन आदर्ष कमल ने बताया कि राश्ट्रसंत मुनि श्री विहर्श सागर महाराज ससंघ का 2019 का चातुर्मास उ.प्र आगरा कमल नगर मे करने के लिये आज षनिवार को प्रात-6 बजे उपग्वालियर लोहमंडी से सैकड़ों जैन समाज के लोगो से अपने गुरूदेव का मंगल विहार सम्मालित होगे। राश्ट्रसंत मुनि श्री विहर्श सागर महाराज का चातुर्मास कलष स्थापन 21 जुलाई को आगरा मे होगी।