षांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कमेटी की ओर दो दिवासिय भव्य कलष रोहण एवं विष्व षांति महायज्ञ सपन्न हुआ दुख अपने आप ही पापों को नष्ट करने से कम हो जाएंगे-मुनिश्री

Jun 29 2019


    ग्वालियर-ईर्ष्या ऐसी है, जो खुद को ही जलाती है और बहुत से कर्मों का बंध करती है। किसी की निंदा करने की बजाय उसकी सामने से प्रशंसा करने से धीरे-धीरे ईर्ष्या खत्म होती है। हमेशा हर किसी के आगे बढ़ो, लेकिन उसे पीछे धकेल कर नहीं, बल्कि अच्छे कार्य करके उससे आगे बढ़ो। अपने पर आए कर्म और उनसे उपजे पापों को नष्ट करने से दुख स्वतः ही कम होगा। किसी पर झूठा कलंक लगाने से अनंत भवों तक रखड़ना पड़ता है। यह बात राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने आज षनिवार को षिदें की छावनी स्थित श्री षांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के भव्य षिखर रोहण महोत्सव में धर्मसभा को संबोधिक करते हुए व्यक्त किए। मंच मुनिश्री विजयेष सागर महाराज मौजूद थे।
      मुनिश्री ने कहा ंिक यदि हम देव, गुरु व धर्म की विराधना न करे, समता भाव से दुखों को सहन करे तो मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। आए हुए दुखों से कम कष्ट होता है। प्रकृति हमें कोई भी ऐसा दुख नहीं देती जो हम सहन नहीं कर सके। इसलिए हर परिस्थिति में समता भाव आवश्यक है।
मुनिश्री को वात्सल्य वारिधि उपंाधि से अलंकृत किया
          जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्ष कलम ने बताया ंिक राश्ट्रसंत विहर्श सागर महाराज को षांतिनाथ जैन मदिर कमेटी समिति के रविंद्र जैन, डॉ अरूण जैन, अशोक जैन, चक्रेश जैन, प्रतिष्ठाचार्य षंषिकांत शास्त्री विपिन जैन, अमरीश जैन, राजीव जैन, देवेष जैन, अतुल जैन, अमित सिघई, अंकुरा जैन सहित सकल जैन समाज ने मुनिश्री को वात्सल्य वारिधि उपाधि अलंकृत पत्र देकर गौरवंति ंिकया गया।
अभिशेक के उपरांत की विष्वषांति की कामनाएं
   प्रतिष्ठाचार्य षंषिकांत शास्त्री ने मंत्र उच्चारण के साथ इंद्रो ने पीले वस्त्र धरण कर भगवान आदिनाथ का अभिशेक संगीतकार षुभम जैन के भजनो पर भक्ति नृत्य करते हुए ंिकए। भगवान की षंान्तिधार और भव्य आरती की गई। विधान के अतिंम दिन विष्वषंान्ति महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें इंद्र-इंद्राणियों ने हवन कुंड में मंत्रो के द्वारा आहुति डालकर भगवान जिनेन्द्र से विष्वषांन्ति कव साथ आचंल अच्छी बारिष की मनोकामना की गई।
स्वर्णमयी कलषरोहण की षुद्धि
       मुनिश्री विहर्श सागर महाराज संसघ एवं प्रतिष्ठाचार्य षंषिकांत शास्त्री ने मंत्र मंत्रउच्चारणो के साथ विधि संस्कार से मंदिर के नवीन षिखर पर लगने वाले स्वर्णमय कलषारोहण एवं जैन ध्वजारोहण की षुद्धि महिलाओ ने केषर, चंदन, हल्दी से क्रिया संपन्न कराई गई।
इंहो ने षिखर पर कलषारोहण किया
षिखर पर कलषरोहण होते ही जयकारो से मंदिर प्रागण गूंज भक्ति झूमे श्रद्धालु
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विहर्श सागर महाराज संसघ सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य षंषिकांत शास्त्री ने मंदिर के प्रथम षिखर पर नवनिर्मित स्वर्णमय कलषारोहण एवं जैन ध्वजारोहण रविंद्र जैन आषीश जैन परिवार चढाया गया। दूसरे षिखर पर अषोक पंकज जैन, तीसरे षिखर पुरूशोत्तम जैन सरार्फ, चौथे षिखर पर पदमचंद्र जैन सरार्फ एवं पॉच वे षिखर पर निर्मलचंद परिवार भिंड ने चढाए। मंदिर के कॉफी संख्या में मोजूद लोगो भगवान षांतिनाथ के जयकारो के साथ भक्ति नृत्य करने लागे।