-जैन मिलन ग्वालियर की ओर से ग्वालियर के इतिहास में प्रथम बार जिनंेंद्र महाआर्चना की गई 1008 जोड़ो ने किया महाआर्चन महापूजन, चार घंटे गूंजती रही मंत्रो आराधान ध्वनि

Jun 25 2019


        ग्वालियर-जैन मिलन ग्वालियर के तत्वाधान में पहली बार मंगलवार नई सडक स्थित चंपाबाग बागीची में राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर एंव मुनिश्री विजयेष सागर महाराज के सानिध्य में जिनेंद्र महाअर्चना महापूजन ंिकया गया। इस पूजन मे 1008 जोडो कही भाई-बहन, कही पिता-पुत्र तो कही सास-बहू एवं ननद-भाभी जैसे रिष्ते के रूप में बैठे थे। इस रोग, षोकभय निवारक, सुख-समृद्धि कव लिए जिनंेंद्र महाआर्चना की गई। महिलाओ मंगल कलष एवं भगवान आदिनाथ का अभिशेंक इंद्र -इंद्राणी की रचना आकर्शण का केंद्र था।
  इष्ट या परमात्मा के प्रति प्रेम की भावना भक्ति कहलाती है-मुनिश्री
   राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने धर्मसभा को संगोधित करते हुए कहा कि भक्ति प्रेम की मधुमती भूमिका है। प्रेम का तत्व या सारांश ही भक्ति की संज्ञा को प्राप्त हो जाता है। प्रेम के अनेक रूप हैं। जैसे समान वय में एक-दूसरे के प्रति तो रामात्मक भाव उदय होते हैं। उन्हें स्नेह कहा जाता है। छोटे लोग जब बड़ों से प्रेम करते हैं तो श्रद्धा बन जाता है। अपने इष्ट या परमात्मा के प्रति प्रेम की भावना भक्ति कहलाती है। मन प्रभु के नाम को जपता है तो तन सेवा भक्ति, कर्म में रत हो जाता है। कर्म करो और भगवान को अर्पित कर दो, अर्थात प्रत्येक कार्य को करते हुए मन में भावना बननी चाहिए कि मैं जो कर रहा हूं वह सब मेरे भगवान की सेवा भक्ति के निमित्त है। सेवा संबंधी प्रत्येक कर्म को भगवान को समर्पित करने से प्राणी अहंकार से मुक्त हो जाता है। जो कुछ है उसका है, जो उसका है उसको समर्पित करो।
इंहोने लिया मुनिश्री से आर्षिवाद 
         जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री के चरणो मे डॉ वीरेंद्र गंगवाल, विकास गंगवाल, जैन मिलन के अध्यक्ष संजीव अजमेरा, सचिव योगेष बोहरा, विनय कासलीवाल, रतन अजमेरा, पंकज वाकलीवाल, बालचंद्र जैन, निर्मल पाटनी, धर्म वरैया, प्रयांक सोनी, मिखिल गोधा, पदम ग्वालियरी, संजय गोधा सहित जैन समाज के लोगो ने श्रीफल चढ़ाकर आषिर्वाद लिया। संचालन उमेष जैन एवं आभार अध्यक्ष संजीव अजमेरा ने जैन ने ंिकया।
महाअर्चना के लिए निकाली मंगल कलषयात्रा, ध्वजरोहण कर षुभारंभ किया
         महाआर्चना विधान के पहले दिन सुबह मुनिश्री विजयेष सागर के सानिध्य में दिगंबर जैन स्वर्ण मंदिर से गाजे बाजे के साथ कलष यात्रा निकाली गई। इस मंगल कलष यात्रा में महिलाएॅ नृत्य करते हुए चल रही थी। महिलाएॅ केसरिया सॉडियों में मंगल कलष सिर पर रखकर चल रही थी। यहॉ मंगल कलष यात्रा मुख्या मार्गो से होती हुई कार्यकम चंपाबाग बागीची पहुची। मुनिश्री के सानिध्य में प्रतिश्ठाचार्य अजीत कुमार षास्त्री एवं पं. चन्द्रप्रकाष जैन ने मंत्रो के साथ चक्रेष सीमा जैन परिवार ने ध्वजरोहण कर षुभारंम किया। इसके बाद इंद्राणियो ने मंगल कलष के जल से मंडप की भूमि षुध्दि क्रिया पूरी की।
 सौधर्म ने भगवान अभिशेक कर उतारी आरती, भक्तो ने चढ़ाया निर्माण लड्डू,
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने अपने मुख्य बिंद से मंत्रो का उच्चरण कर सौधर्म इंद्र राजू पंकज जैन, यज्ञनायक महेंद्र टोंग्या एवं कुबेर अजय विजय कुमार जैन सहित इंद्रो ने भक्तिभाव के साथ भगवान आदिनाथ का अभिशेक किया। मुनिश्री ने अपने मुख्यबिद से मंत्रो से भगवान कीं षांतिधार विजय विकास जैन ने की। महाआर्चना विधान के मुख्य मंढने पर मंगल कलष महिलाओ ने स्थापना की। अखण्ड ज्योति रितू जैन एवं भगवान की आरती अनकित जैन बीना ने की। मुनिश्री के पदा प्रक्षालन एवं भगवान चंद्रप्रभू के मोक्ष कल्याण पर राजू पंकज जैन परिवार सहित सामूहिक रूप से भगवान को निर्वाण लाडू समर्पित ंिकया।
 1008 परिवारो ने रचाया जिनेंद्र महाआर्चना विधान, भक्तो की भक्ति उमड़ी 
   रोग, षोकभय निवारक, सुख-समृद्धि जिनंेंद्र महाअर्चना विधान में सौधर्म इंद्र सहित 1008 परिवारो के इंद्र-इंद्राणियो ने केषरिया वस्त्र धारण कर अश्ट्रद्रव्य से जिनेंद्र महाअर्चना विधान की महिमा का गुणगान कर पूजा आर्चना करते हुए मुनिश्री ने अपने मुख्यदिंब से मंत्रो उच्चरण कर भगवान आदिनाथ के चरणो में महाअर्घ्य मढ़ने पर समर्पित किए। इंद्र इंद्राणियों ने आहुति डालकर भगवान जिनेन्द्र से अच्छी बारिष के लिए विष्वषांन्ति की मनोकामना की। महाअर्चना में भोपाल के संगीतकार विक्की ने भजनो पर भक्तो की भक्ति नृत्य के जयकारो से उमड़ पडी।