- राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर कव मंगल प्रवचन चंपाबाग धर्मषाला में हुए दूसरों को सुधारने की आदत छोड़ें, खुद को संवारने की कोशिश करें-राश्ट्रसंत
Jun 17 2019
ग्वालियर-हमें जो मिला है, जैसा मिला है, उसका स्वागत करना सीखें। जो मिला उसके लिए भगवान को धन्यवाद दें। जब जो हो जाए उसे प्रेम और सहजता से स्वीकारें। घर में केवल कोच की भूमिका निभाएं, समझाएं और मुक्त हो जाएं। दूसरों को सुधारने की आदत छोड़ें और खुद को संवारने की कोशिश करें। यह विचार राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने आज सोमवार को नई सडक स्थित चंपाबाग धर्मषाला में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा- जीवन में हमेशा आनंद की अनुभूति करना चाहिए। भोजन मिले तो खाने का आनंद लें और न मिले तो उपवास का। चलें तो आनंद की यात्रा करें और बैठें तो आनंद को महसूस करे। शादी हो जाए तो संसार का आनंद लें और न हो तो शील का। हम निश्चय कर लें कि हर हाल में खुश रहेंगे तो दुनिया की कोई ताकत हमें नाखुश नहीं कर सकती है।
साधना और आराधना से मजबूत होता आत्मबल- मुनिश्री विजयेष सागर महाराज ने कहा ंिक जिस धर्म में दया नहीं होती, वह सनातन और शाश्वत नहीं हो सकता। जब तक हमारा अहंकार खंडित नहीं होगा, साधना और भक्ति का मार्ग भी पल्लवित नहीं हो सकता। साधना और आराधना हमारे आत्मबल को मजबूत बनाते हैं। हमारी साधना जिनशासन को समृद्धि प्रदान करेगी। पुण्यार्चन का यह सबसे सुगम मार्ग है। मन के सभी विकारों को दूर करने का सबसे सरल माध्यम तप-साधना ही है। जैन समाज की ख्याति कठिन तपश्चर्या के कारण निरंतर विश्व स्तर पर पहुंची है। जीवन के संशयों से मुक्ति और चौराहे पर भटक रहे मानव को सही दिशा देने का काम हमारा संत समाज करता है।
इन्होन लिया मुनिश्री से आर्षिवाद
प्रवचनो से पूर्व मुनिश्री के चरणो में डॉ वीरेंद्र गंगवाल, महेंद्र टोग्या, विकास गंगवाल, बालचन्द्र जैन, जैन मिलन के संजीव अजमेरा, सचिव योगेष बोहरा विनय कासलीवाल, रतन अजमेरा, निर्मल पाटनी, कमलेष बिलाल, जैन, संजय गोधा, सुरेंद्र जैन एवं जैन समाज की महिलाओ ने श्रीफल चढ़ाकर आषिर्वाद लिया।
प्रवचन प्रतिदिन होगे, मुनिश्री के ये रहेगे कार्यकाम
जैन समाज प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज एवं मुनिश्री विजयेष सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री विश्वोत्तर सागर महाराज ससंघ के मंगल प्रवचन नई सडक स्थित चंपाबाग धर्मषाल में प्रात 8.30 से 9.30 तक होगे। इसके बाद 10 बजे से आहारचर्या, दोपहर 3.30 बजे से तत्वचर्चा एवं सॉयकाल 6.15 से आचार्य गुरू भक्ति, आनंद यात्रा एवं आरती होगी।
संपादक
Rajesh Jaiswal
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