मुनिश्री विहसंत सागर महाराज ने सी, पी कालोनी मुरार में धर्मसभा आयोजित की अहम का भाव नहीं लाए क्योंकि यह विकास में बाधकः मुनिश्री

Apr 24 2019


           ग्वालियर- सांसारिक माया-मोह में फंसे होने के कारण जीवन में अशांति फैली हुई है। थोड़ी सी भी सफलता प्राप्त करते ही मनुष्य में अहम की भावना आ जाती है। हमें अहम का भाव नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह विकास में बाधक है।यह विचार जैन मेडिटेषन विहसंत सागर मुनिराज ने आज बुधवार को मुरार स्थित सी. पी कालोनी दिगंबर जैन लाला मदिर में श्रद्धालुओं को धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 
        मुनिश्री ने कहा कि 84 लाख योनियों के बाद मानव तन मिला है। इस तन को प्रभु भक्ति में लगाएं। भक्ति भावना से दूर होने के कारण ही मानव आनंद से विमुख है। अहम के कारण प्रतापी और ज्ञानी राजा रावण का भी नाश हो गया। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि अहम विकास में बाधक है। जब तक घर-परिवार में प्रेम नहीं होगा तब तक समाज में खुशहाली की बात करना बेमानी है। उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला उसे भोलेनाथ ने ग्रहण कर पूरे विश्व का कल्याण किया। लोभ, माया-मोह के चक्कर में पड़कर आज भाई, भाई का दुश्मन बन बैठा है। परिवार में प्रेम भाव होना आवश्यक है। परोपकार से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। 
मुनिश्री का विहार पनिहार के लिए हुआ
      जैन समाज प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि मुनिश्री विहसंत सागर एवं मुनिश्री विष्वसूर्य सागर महाराज सी.पी कलोनी स्थित दिगबर लाला जैन मंदिर से आज बुधवार को मंगल विहार पनिहार बराई के लिए हुआ। आज गुरूवार को नया बाजार जैन मदिर रूकेगे। नया बाजार से षाम को सिंकन्दर कंम्पू रात्रि विश्राम करेगे। षुक्रवार को सुबह सिंकदर कंपू से नया गांव में मुनिश्री की आहारचार्य के बाद पनिहार बराई के लिए रवाना होगे।