मुनिश्री विहसंत सागर महाराज ने सी, पी कालोनी मुरार में धर्मसभा आयोजित की मनुश्य को अहंकारी नहीं, संस्कारी बनना चाहिएः मुनिश्री

Apr 23 2019


           ग्वालियर- जो मनुष्य अपने मन को एकांत कर भगवान का तप और जप करता है, उसका जीवन अवश्य ही सफल हो जाता है। इसके अलावा जो इन चीजों से वंचित रह जाता है उसके पास अंत तक पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है। यह विचार जैन मेडिटेषन विहसंत सागर मुनिराज ने आज मंगलवार को मुरार स्थित सी. पी कालोनी दिगंबर जैन लाला मदिर में श्रद्धालुओं को धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 
        मुनिश्री ने कहाकि त्यागी को रोग वैराग्य के लिए होता है, जबकि भोगी को रोग रोने के लिए अर्थात शोक के लिए होता है। जो व्यक्ति स्वयं को संभालता है वही दूसरों को संभाल सकता है। जो स्वयं तैरना सीखा नहीं वह दूसरे को क्या तैरना सिखाएगा। वह दुख तो डूबेगा ही दूसरे को भी डुबा देगा। मुनिश्री ने कहाकि मनुष्य को अपने जीवन में अहंकारी नहीं संस्कारी बनना चाहिए। क्योंकि जिस प्रकार से अहंकार जीवन का नाश कर देता है और फुटपाथ पर लाकर खड़ा कर देता है। उसके विपरीत जो मनुष्य संस्कारी बनकर अपने जीवन में धर्म, दान-पुण्य का काम करता है, उसके जीवन का कल्याण हो जाता है। इसलिए अहंकार छोड़ संस्कारी बनो तो होगा जीवन सफल। सोचें समझें फिर काम करें। अधिकांश देखने में आता है कि मनुष्य किसी काम को बिना सोचे-समझे ही करने के लिए चल पड़ता है। इससे उसको आगे जाकर नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए जो भी काम करें, उसके बारे में सबसे पहले जानें। इससे नुकसान भी नहीं होगा।
         मुनिश्री के चरणो में राजीव जैन, बुजेष जैन, पदमचंद जैन, सुरेषचंद जैन, अनिल जैन, महेंद्र जैन, भूपेष जैन, नीरज जैन, जितेन्द्र जैन, दिनेष जैन मनोज जैन एवं जैन मिलन सीपी कलोनी, दिगंबर जैन जागरण मंच ग्रेटर, ने श्रीफल आर्षिवाद लिया।

आज प्रवचन होगे, मुनिश्री के प्रतिदिन ये रहेगे कार्यकाम
      जैन समाज प्रवक्ता सचिन आदर्ष कलम ने बताया कि मुनिश्री विहसंत सागर एवं मुनिश्री विष्वसूर्य सागर महाराज सी.पी कलोनी स्थित दिगबर लाला जैन मंदिर में मंगल प्रवचन प्रात 8.30 से 9.30 तक होगे। इसके बाद 10 बजे से आहारचर्या, दोपहर 3.30 बजे से तत्वचर्चा एवं सॉयकाल 6.15 से आचार्य भक्ति, गुरूभक्ति एवं आरती होगी।