संतोष की बात ये है की प्रदेश में लगातार 15 साल सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा के नेता और कार्यकर्ता संघर्ष करना भूले नहीं हैं ण्प्रदेश में सत्ता परिवर्तन

Mar 10 2019


संतोष की बात ये है की प्रदेश में लगातार 15  साल सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा के नेता और कार्यकर्ता संघर्ष करना भूले नहीं हैं ण्प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के तीन  महीने के भीतर ही भाजपा ने अपने फ़ौज.फांटे के साथ सड़कों पर मोर्चा सम्हाल लिया हैण्संसद तक पहुँचने का यही असली रास्ता है और आसान रास्ता है ण्
कांग्रेस की 56  दिन की कमलनाथ साकार ने अपने अस्सी फीसदी वादे पूरे करने का दावा किया हैएबावजूद इसके भाजपा सड़कों पर है ण्इसका मतलब है कि सरकारी अश्व अभी सचिवालय से निकल कर मैदान तक नहीं पहुंचे हैं और इसी कारण से भाजपा को सड़कों पर आने का मौक़ा मिल रहा है ण्मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कमोवेश ये ही स्थिति है ण्
पिछले तीन माह में देश का न इतिहास बदला है और न भूगोल लेकिन वर्तमान बड़ी तेजी से बदला हैण्पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर वायुसेना के प्रहार के बाद चुनाव के तमाम बासी मुद्दे समाप्त करते हुए सेना का शौर्य और राष्ट्रप्रेम नया नारा बन गया है ण्प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपने जमाने की आयरन लेडी कही जाने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ही तरह अब कहने लगे हैं कि कांग्रेस उन्हें मार देना चाहती है ण्चुनाव से पहले इतने संगीन आरोप लगाने के अपने मतलब हैं एइसका एक अर्थ तो ये है कि प्रधानमंत्री जी बेहद भयभीत हैं या फिर उन्हें अपनी सरकार से इस तरह का कोई गंभीर इनपुट मिला है 
देश का प्रधानमंत्री जब अपने आपको असुरक्षित समझने लगे तो आप आम आदमी के भय का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं एकिन्तु मा अनुभव कहता है कि प्रधानमंत्री का भय काल्पनिक है एउन्हें मारने के बारे में कांग्रेस तो क्या देश का कोई भी आदमी सोच भी नहीं सकता ण्अभी उनके हिस्से में इतनी घृणा नहीं आयी है कि कोई उन्हें मरने की बात सोचने लगे एहाँ राजनीतिक विरोध उन्होंने गले.गले तक पाल लिया हैण्वे अपने दल के भीतर भी विरोध का सामना कर रहे हैं और बाहर भी ण्उनके खिलाफ कांग्रेस समेत देश की 23  विपक्षी पार्टियां एक हैं एइसलिए प्रधान जी का भयभीत होना स्वाभाविक है एलेकिन उन्हें अपना भी सार्वजनिक कर अपनी पार्टी को कमजोर नहीं करना चाहिए ण्
मै लौटकर मध्यप्रदेश आता हूँए यहां भाजपा तीन महीने पहले हाथ से गया अपना सत्ता सिंघासन दोबारा हासिल करने के लिए लोकसभा चुनावों के नतीजों पर निर्भर हैण् मध्य्प्रदेश से भाजपा के पास 29  में से तीन सीटें थीं एअब भाजपा के लिए यथास्थिति कायम रखना कठिन हैण् सत्ता में रहने के कारण अब कांग्रेस ज्यादा नहीं तो दो अंकों तक तो पहुँच जाएगी ण्कांग्रेस को इससे कम पर रोकना आसान नहीं है एलेकिन नामुमकिन नहीं ण्कांग्रेस आज भी सांगठनिक मामले में भाजपा से कोसों पीछे है ण्
सड़क के रास्ते संसद तक पहुँचने के लिए जहां भाजपा ने संघर्ष का रास्ता चुना है वहीं कांग्रेस को अपनी अल्पकालिक उपलब्धियों के आधार पर जनता के बीच जाना है लेकिन हकीकत ये है कि बीते 56  दिन में प्रदेश की तस्वीर में रत्ती भर अंतर् नहीं आया हैण् क़ानून और व्यवस्था का मोर्चा हो या किसानोंएयुवाओं और उद्यमियों को लाभान्वित करने का मामला ण्कांग्रेस के लिए पार्टी के क्षत्रप ही सबसे बड़ी समस्या है और इन्हें कोई विस्थापित भी नहीं कर सकता ण्
कांग्रेस जानती है कि यदि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन यदि दोबारा सत्ता में आया तो पार्टी की तीन नयी.नवेली सरकारों को जाना पड़ सकता है एक्योंकि इन्हें हटाए बिना 2019  के साल में भाजपा के लिए काम करना आसान नहीं होगा ण्इस आसन्न संकट से बचने के लिए जरूरी है कि तबादला   उद्योग में बुरी तरह फंसे मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए अपने इर्द.गिर्द मंडराने वाली छायाओं को दूर करना जरूरी है ण्जिस तरह से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में एक होकर लड़ी थी उसी तरह की एकजुटता के बिना लोकसभा चुनाव में यथास्थिति बनाये रखना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा ण्
चुनाव की पूर्व बेला पर देश.प्रदेश की सड़कें संघर्ष के शोर से गूँज रहीं हैं एअब जनता को तय करना है कि वो किस दल को उसके संघर्ष की कीमत अदा करे और किसे नहीं ण्हम जैसे लोग तो केवल स्थिति पर निगाह रखने और मौके.बेमौके व्हिसिल बजाने वाले हैं ण्यानि आगाह करने का काम हमारा है ण्