सुहागिनों ने वट वृक्ष की पूजा कर की पति की दीर्घायु की कामना
Jun 10 2021
ग्वालियर। पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने वट-वृक्ष की पूजा-अर्चना की और सुख-समृद्धि की कामना की। सुबह से ही सुहागिनें सज-धजकर वट वृक्ष की नीचे पहुंचना प्रारंभ हो गई थीं। कोई ग्रुप के साथ पूजा-अर्चना करने जा रहा था तो कोई अकेले ही पूजा करने के लिए जा रहा था। इस अमावस्या का विशेष महत्व होता है इसलिए इस व्रत को लेकर सुहागिनों में भारी उत्साह देखने को मिला। ज्येष्ठ मास में पडऩे वाली अमावस्या तिथि सबसे अधिक शुभ व फलदायी मानी जाती है जिसे ज्येष्ठ अमावस्या भी कहते हैं। इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत जैसे पावन पर्व मनाए जाने का विधान हैं।
धार्मिक मान्यता अनुसार, जो भी व्यक्ति Óयेष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सच्ची भावना से स्नान-ध्यान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करता है, उसे समस्त देवी-देवता का आशीर्वाद निश्चित ही प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन पितरों व पूर्वजों की शांति और इष्ट देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए, किए जाने वाले हर प्रकार के कर्मकांड भी फलीभूत होते हैं।
वट सावित्री व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। ऐसे में इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन वट (बरगद) के पेड़ का पूजन किया जाता है। इस दिन सुहागिनें वट वृक्ष का पूजन कर इसकी परिक्रमा लगाती हैं। महिलाएं सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर इसके सात चकर लगाती हैं। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
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