ग्वालियर का रामकृष्ण मिशन स्कूल ऑनलाइन होने वाला पहला स्कूल बना

Jun 12 2020

ग्वालियर के रामकृष्ण मिशन सीबीएसई और रामकृष्ण मिशन एमपीबीएसई स्कूलों ने ऑनलाइन प्रणाली अपनाते हुए जून में अपना शैक्षणिक सत्र पूरी तरह से शुरू कर दिया है। रामकृष्ण मिशन ने कन्टेंट प्रोवाइडर के रूप में नोटबुक का सहयोग लिया है, जिसके अंतर्गत हर स्कूल का सत्र ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा, और छात्र अपने घर से ही अध्ययन कर सकते हैं। ऑनलाइन नियमित कक्षाओं के लिए समय सुबह 9 बजे से दोपहर 2.00 बजे तक होगा और छात्र  अगली सूचना तक शारीरिक रूप से स्कूल नहीं आएंगे। कोविड-19 महामारी की गंभीरता सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं, चाहे उनका बच्‍चा 50% छात्र की उपस्‍थिति के आधार पर ही स्कूल में आता हो। इसी समस्‍या को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षण की सुविधा लागू की गई है। कोरोनावायरस महामारी के कारण विद्यालयों के बंद होने के बाद से, कई विद्यालयों ने कुछ कक्षाओं का ऑनलाइन संचालन किया है, लेकिन ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन स्‍कूल अपनी संपूर्ण विद्यालय प्रणाली को ऑनलाइन करने वाले पहले स्कूल बन गए हैं।
इस निर्णय की घोषणा करते हुए, स्वामी सुप्रदीप्तानंद, प्रिंसिपल, आरकेएम सीबीएसई, और निदेशक आरकेएम, एमपीबीएसई ने बताया कि "कोविड-19 मानवता के लिए एक भयावह आश्चर्य है। हम छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कोई समाधान तलाशने के लिए मजबूर थे। नियमित कक्षाएं संचालन करना ही एकमात्र समाधान है। लेकिन सवाल है कि इसका संचालन कैसे किया जाए? बच्चों के माता-पिता को 50% उपस्थिति के आधार पर भी अपने बच्‍चों को स्कूल भेजने का सुझाव देने से भी लोगों के बीच से चिंता का माहौल तो बना ही रहेगा। इन सभी वास्तविकताओं ने हमें पूरी स्कूल प्रणाली को ऑनलाइन करने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया। नोटबुक ने मुफ्त कन्‍टेंट उपलब्ध कराकर हमारा सहयोग किया है। छात्रों और शिक्षकों के लिए वीडियो और संसाधन सामग्री मुफ्त उपलब्‍ध है। वास्तव में हम नोटबुक के आभारी हैं, जिन्होंने वेबिनार की एक सीरीज़ आयोजित की, जो हमारे शिक्षकों को खुद को उन्नत करने, उनमें आत्मविश्वास विकसित करने, और चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहने में में मदद करता है। अब तक, इस मौजूदा महामारी की स्थिति में हम ऑनलाइन समाधान का उपयोग करके अच्छी तरह से कमांड की स्‍थिति में हैं। प्रबंधन, शिक्षक, छात्र, माता-पिता, और स्‍टेकहोल्‍डर, सभी राहत महसूस कर रहे हैं और ऑनलाइन समाधान के पीछे की कड़ी मेहनत और योजना का लाभ उठा रहे हैं। हम स्वामी विवेकानंद को याद करते हैं जिन्होंने कहा था - “धन, नाम, प्रसिद्धि, सीखने-समझने से काम नहीं बनता है, बल्‍कि यह चरित्र ही है जो असमानता की कठोर दीवारों को गिराता है।" हमें लगता है कि स्वामी विवेकानंद के शब्दों ने लक्ष्य तक पहुंचने की ताकत दी।”
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से लाइव कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, और छात्रों को तैयारी के लिए, शिक्षक कक्षा शुरू होने से एक या दो दिन पहले नोटबुक से वीडियो लिंक भेज रहे हैं। इस यात्रा में नोटबुक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार किये गए नोटबुक के शॉर्ट लर्निंग वीडियो के कारण छात्र की कक्षा के लिए उपयुक्‍त उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री साझा करना शिक्षकों के लिए संभव बना दिया है। 2019 में लॉन्च किया गया नोटबुक सीबीएसई स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम-आधारित वीडियो सामग्री प्रदान करने में अग्रदूत की भूमिका निभा रहा है। आरकेएम के शिक्षक कक्षा शुरू होने से पहले व्हाट्सएप पर छात्रों के साथ इन वीडियो लिंक को साझा कर रहे हैं और फिर कक्षा के समय का उपयोग बेहतर चर्चा में शामिल होने के लिए कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कक्षाएं गंभीरता के साथ संचालित की जाती हैं, हमेशा की तरह, स्कूल ने छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म में कक्षाओं में भाग लेने के लिए कहा है। लॉकडाउन से पहले भी, स्कूलों में कक्षाओं में उपयोग के लिए और साथ ही घर पर उपयोग के लिए भी छात्रों के लिए नोटबुक की पेशकश की जा रही थी। लॉकडाउन की शुरुआत में, हर किसी के लिए घर से उपयोग करने के लिए नोटबुक ने अपने प्लेटफॉर्म को मुफ्त रखा था और लॉकडाउन के दौरान 5 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं को  सीखने में सहायता पहुंचाई है।
अपनी सोच के बारे में बताते हुए, अचिन भट्टाचार्य, संस्थापक एवं सीईओ, नोटबुक ने कहा कि 
“हमने नोटबुक की शुरुआत व्‍यापक सामाजिक दृष्टिकोण के साथ किया। भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और भाषा से हटकर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सार्वभौमिक रूप से सुलभ होना चाहिए। और ऐसा करना परोपकारी होना नहीं है, बल्‍कि यह सिर्फ जिम्मेदारी भरा कदम है। टेलीकॉम ने सफलतापूर्वक अविश्वसनीय विकास का अवसर प्रदान किया है जिसका मध्य भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए, जब लॉकडाउन ने स्कूलों को प्रभावित किया, तो हमने नोटबुक को मुफ्त कर दिया। हालांकि, नोटबुक को लेकर जो बढ़त दिखी, वह हमारी अपनी अपेक्षाओं से अधिक रही। जब स्वामीजी हमारे 'टूगेदर फॉर एजुकेशन' वेबिनार सीरीज़ में एक वक्ता के रूप में आए और बताया कि उनका स्कूल डिजिटल कक्षाओं को कैसे लागू कर रहा है, तो हमने उनके प्रयासों में हर तरह से मदद करने का फैसला किया, जो उन्होंने और उनकी टीम ने जो किया है, वह आकस्‍मिक बदलाव भर नहीं है। यह केवल कुछ समय की बात है जब अधिक से अधिक स्कूल ऑनलाइन हो जायेंगे, और लोग ऑनलाइन शिक्षा को एक समझौते के रूप में नहीं, बल्कि शिक्षकों के प्रयासों के लिए एक बड़े मूल्य के रूप में देखते हैं। विशेष रूप से खुशी की बात यह है कि यह मेट्रो शहरों के बाहर संभव हुआ। मध्य भारत वह जगह है जो हमारा अगला बड़ा विकास इंजन बनने जा रहा है, और नोटबुक को इस यात्रा का एक हिस्सा बनने पर गर्व है।”
रामकृष्ण मिशन द्वारा यह प्रणाली अपनाये जाने के बाद, अब उम्मीद की जाती है कि अधिकतर  स्कूल पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली को अपनायेंगे।
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