‘कुछ स्‍माइल्‍स हो जाये...विथ आलिया’

May 19 2020

 
मुझे बड़ा ही सुखद आश्‍चर्य हुआ जब उन्‍होंने मुझसे यह करने को कहा। मेरी कुछ इस तरह की प्रतिक्रिया थी, ‘’क्‍या मैं? कैसे? कब?’’ मुझे लगता है कि बहुत ही कम समय में यह फैसला किया। मुझे यह भी कहा गया कि मैं अकेले नहीं हूं, बलराज सयाल मेरे को-होस्‍ट होंगे। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई, क्‍योंकि वह एक कमाल के कॉमेडियन हैं और मैं काफी लंबे समय से उन्‍हें टीवी पर देख रही हूं। इसलिये, इस शो के लिये मैं बहुत ही उत्‍साहित हूं।
·         क्‍या आप सहजता से होस्टिंग कर लेती हैं?
कॉलेज के दिनों में मैं काफी सारे कार्यक्रम होस्‍ट किया करती थी, कॉलेज फेस्‍ट से लेकर, कई अलग-अलग तरह के सांस्‍कृतिक कार्यक्रम। एंकरिंग ऐसी चीज है जिसे मैं करती रही हूं और इसमें मैं काफी अच्‍छी हूं। तो ‘कुछ स्‍माइल्‍स हो जाये...विथ आलिया’ ऐसा लगता है कि उसी का टेलीविजन रूप है।
·         आप इस शो के लिये घर पर शूटिंग कर रही हैं। इसका अनुभव कैसा है?
शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई क्‍योंकि हमारे घर शूटिंग के लिये डिजाइन नहीं किये गये हैं, ये रहने के लिये बने हैं। हालांकि, शुक्र है कि मेरी मॉम की वजह से हमारा घर बहुत ही खूबसूरत है और कैमरे पर यह अच्‍छा नजर आ रहा है। शूटिंग करना इसलिये भी मुश्किल था क्‍योंकि मेरी मॉम डीओपी थीं और उन्‍हें शूटिंग के लिये फोन को पकड़ना था। पहले दिन प्रोमो के लिये मुझे 5-6 घंटे शूटिंग करनी पड़ी और इसे अगले दिन भी जारी रखना पड़ा, क्‍योंकि दिन की रोशनी का कुछ मामला था। इसके बाद उन्‍होंने मुझे ट्राइपॉड भेजा और फिर मैं खुद शूटिंग कर पायी। कुल मिलाकर काफी मजेदार था, लेकिन थका देने वाला काम था क्‍योंकि हम सभी जिम्‍मेदारियां खुद संभाल रहे थे।
·         क्‍या आपने घर पर शूटिंग/डबिंग करने के लिये कोई तकनीक सीखी?
मुझे इस बात का अहसास हुआ कि मेरी किताबों का दो उद्देश्‍य है- एक तो उन्‍हें पढ़ना और दूसरा वो एक अच्‍छी  कैमरा स्‍टैंड हैं। जब तक उन्‍होंने मुझे ट्राइपॉड नहीं भेजा था, मैंने अपने मोबाइल स्‍टैंड के लिये किताबों का इस्‍तेमाल किया।
·         आपकी मां एक अनुभवी टेलीविजन कलाकार हैं। वैसे, उनके लिये भी यह स्थिति नई होगी। उन्‍होंने घर पर शूटिंग करने में आपकी किस तरह मदद की?
सेट पर शूटिंग करने के दौरान भी मुझे इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, मुझे सीन में काफी ज्‍यादा हिलने की आदत है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि कैमरा मेरे ऊपर है या मैं फ्रेम में हूं, इसलिये मुझे स्थिर रखना मेरी मां के लिये सबसे मुश्किल काम था। उन्‍होंने जोश बनाये रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभायी, क्‍योंकि शूटिंग को परफेक्‍ट बनाने के लिये मुझे कई सारे टेक करने पड़े और मुझे बहुत ही पसीना आ रहा <span lang="HI" style="font-size:12pt;font-family:Mangal,serif