दाना ओली चंपाबाग जैन मंदिर में धर्मसभा में मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने कहा ंिक आंख से अंधा व्यक्ति सुखी रह सकता है, पर जिसमें विवेक नहीं, वह सुखी नहीं रह सकता। राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर ससंघ के आज दानाओली में चंपाबाग जैन मंदिर में प्रवचन हुए

Feb 26 2020


    ग्वालियर- मनुष्य के अंदर अनंत शक्ति का भंडार है, लेकिन सबसे बड़ी शक्ति है विवेक की। व्यक्ति विवेक के प्रकाश में चलता रहे तो दुख के कारण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। भगवान महावीर ने कहा है कि विवेक ही धर्म की जननी है। मनुष्य अपने अविवेक के कारण जीव हिंसा करता है। केवल किसी का वध करना ही हिंसा नहीं है। प्राणी मात्र को मन, वचन, काया से कष्ट पहुंचाना भी हिंसा है। उक्त उद्गार जैन राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज ने आज बुधवार को जैन मिलन ग्वालियर की ओर दाना ओली स्थित चंपाबाग जैन मदिर में धर्मसभा में व्यक्त किए। मुनिश्री वियजेष सागर महाराज एवं क्षुल्लक विष्वोत्तर महाराज मोजूद थे।
   मुनिश्री ने कहा ंिक आंख से अंधा व्यक्ति सुखी रह सकता है, पर जिसमें विवेक नहीं है, वह कभी भी सुखी नहीं रह सकता। विवेक इंसान को प्रकृति द्वारा अनुपम उपहार है। विवेक का उचित प्रकार से प्रयोग करना आवश्यक है। उन्होने कहा कि व्यक्ति को अपने कर्मों का भुगतान स्वयं करना पड़ता है। किसी दूसरे को खुश करने के लिए कर्मों का बंध नहीं करें। कभी माता-पिता का उपकार नहीं भूले और जीवन में उन्हें कभी दुख देने का काम नहीं करें। माता-पिता और गुरु के सामने झुकने वाले व्यक्ति को कभी भी कहीं भी झुकना नहीं पड़ता है। यदि आपके भाग्य में शुभ कार्य लिखे हो तो निश्चित होंगे, उन्हें कोई टाल नहीं सकता। मुनिश्री के चरणों में चंपाबाग मंदिर समिति के डाॅ वीरेंद्र गंगवाल, विनय कासलीवाल, जैन मिलन ग्वालियर के वरिश्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण गंगवाल, अध्यक्ष संजीव अजमेरा, सचिव योगेष बोहरा, रतन अजमेरा, प्रियांक सोनी, पकज वाकलीवाल, आदि ने श्रीफल चढ़ाकर आर्षिवाद लिया।
आज बनेगी विजयेष सागर की 9 वीं मुनिदीक्षा जयंती, होगे गुरू अघ्र्य समर्पित
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन आदर्ष कलम ने बताया कि जैन मिलन ग्वालियर की ओर से आज 27 फरवरी दोपहर 1 बजे से मुनिश्री विजयेष सागर महाराज का 9 वीं मुनिदीक्षा जंयती कार्यक्रम नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मषाला में राश्ट्रसंत मुनिश्री विहर्श सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री विषोत्तर सागर महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित होगा। जिसमें कार्यकाम का षुभांरभ स्वागत नृत्य, दीप प्रज्वलन, चित्र अनावरण, गुरू अघ्र्य समर्पण, षास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन एवं मंगल प्रवचन होगे। जिसमे बाहर से काफी गुरूभक्त आएगे। 

सोनागिर में 2012 में मुनिश्री दीक्षा ली थी, विजयेष सागर का जीवन परिचय 
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया ंिक  मुनिश्री विजयेष सागर महाराज का जीवन परिचय-पूर्व का नाम-मनीश जैन, पिता का नाम-सूरज जैन एवं माताजी कमलदेवी जैन, जन्म 16 जुलाई 1978 भिंड, भाई 2 बहन 2, षिक्षा बी,सी,ए, क्षुल्लक दीक्षा 23 सितंबर 2009 गांधीनगर, मुनि दीक्षा 27 फरवरी 2012 को सिद्धक्षेत्र सोनागिर में आचार्यश्री विराग सागर महाराज से ग्रहण की।