मोक्ष मार्ग के पथिकों को बिना ज्ञान के मंजिल कैसे मिल सकती है.आचार्यश्री

Jan 23 2020

 

 


 
ग्वालियर. बिना सांसारिक ज्ञान के जब जीवन नहीं चलता है तो मोक्ष मार्ग के पथिकों को बिना ज्ञान के मंजिल कैसे मिल सकती है। ज्ञान में स्थिरता के लिए उसमे निष्ठा बहुत जरूरी है। जैसे बिना ड्रायवर पर विश्वास किए सफर नहीं होता और उसी तरह बिना निष्ठा के ज्ञान नहीं टिकता है। एक बार ज्ञान हो जाए तो उसे कोई छीन नहीं सकता। सूर्योदय से अंधेरा स्वतरू ही मिट जाता हैए वैसे ही ज्ञान की प्राप्ति से जीवन की सारी समस्याओं और जन्म.मरण का अंत हो जाता है। यह विचार अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने गुरूवार को नई सड़क स्थित चंपाबाग बगीची में आदिनाथ मोक्ष कल्याणक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
ज्ञान मनुष्य को उपर उठाता है तो नीचे भी गिरा देता है.मुनिश्री पीयूश
   मुनिश्री पीयुश सागर ने कहा ंिक जो ज्ञाप मनुश्य को उपर उठाता है तो निचे भी गिर सकता है। व्यक्ति को हमेषा भगवान के कल्याणक को यादकर कर्मबंधनए मनए वचन तीनो से मुक्ति कर लेना चाहिए। मनुश्य को अपनी वाणीए अपना व्यवहार से किसी को हानि नही पहुचाना चाहिए। एस कार्य करो कि हमार जीवन पवित्रए पावन बन जाए।
आचार्यश्री के पदवी का पहला केशलोचन किया
आचार्यश्री के पदवी मिलने के बाद पहला कैशलोचन ंिकया। अचार्यश्री और मुनिश्री पीयूश सागर महाराज ने अपने सिर और दाढ़ी के बालो को अपने हाथो की कैंची बनकर उखेडे। आचार्यश्री ने सुबह 7 बजे से शुरू होकर 8 बजे तक अपने हाथों से केशलोंच को उखाड फेकेए 2रू00 घटे मे केषलोचन ंिकए। जिस दिन आचार्यश्री और मुनिश्री केंशलोचन करते है उस दिन उपवास करते है। वैसे जैन संत 24 घटें में एक बार भोजन करते है।