.छठा पर लोहामंडी मंदिर का बार्शिक मेले मे मुनिश्री के मंगल प्रवचनए अभिशेक हुएए गाऐ भजन धर्म को धारण करेंए आचरण में उतारें तभी क्षमा धर्म आता है.ःमुनिश्री मुनिसंघ के सानिध्य में अभिशेक में उमड़ा आस्था का सैलाबए सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए

Sep 20 2019

  
   ग्वालियर.धर्म के धारण को क्रियाओं में आचरण में उतारने पर ही हम धर्म धारी बन सकते हैं। क्षमा के साथ उत्तम क्षमा का प्रयोग इसीलिए किया गया क्योंकि धर्मों में क्षमा सबसे बड़ा है। छोटे से छोटे प्रसंगों पर हमारा परिवार में मन मटक हो जाता हैए हम याद नहीं रख पाते और बात गांठ बन जाती है। इसलिए यह महान पर्व राज दसलक्षण पर्व आता हैए जिसमें हम मन वचन काया से भगवान की आराधना करते हैं और सभी को क्षमा करते हैं सबसे क्षमा मांगते हैं। यह विचार मुनिश्री संस्कार सागर मुनिराज ने आज षुक्रवार को लोहामंडी स्थित लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर छठा कव बार्शिक मेले के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
       मुनिश्री ने कहाकि यदि आप अपने क्रोध को भगाकर क्षमा लाना चाहते हैं तो इसके चार उपाय हैं पहला क्रोध आए तो मौन हो जाएंए दूसरा क्रोध की अवस्था में अपना चेहरा दर्पण में देखेंए तीसरा क्रोध में एक गिलास ठंडा पानी पी लें तथा मुख में भरे रहें और चौथा क्रोध में अगर सामने वाला आग का गोला बन जाए तो तुम पानी बनकर बरस जाओ। प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर भी अपनी सहनशीलता से विचलित नहीं होना क्षमा धर्म है। प्रवचन से पूर्व मुनिश्री के चरणो में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पदमचंद जैनए मंत्री देवेद्र जैनए दिलीप जैनए नवरंग जैनए राहुल जैनए अभिलाश जैनए मनीश जैनए पवन जैनए अलोक जैन प्रवक्ता सचिन जैन ने श्रीफल चढ़कार आर्षिवाद लिया।
 बार्शिक मेले में भगवान पार्ष्वनाथ का अभिशेक कियाए गाऐ भक्ति भजन
   जैन समाज प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि बार्शिक मेले जैन समाज के लोगो ने भगवान की पूजा आर्चना की। मुनिश्री संस्कार सागर महाराज के सानिध्य में भगवान पार्ष्वनाथ का मंत्रउच्चरण के साथ प्रथम कलष के जल से रामप्रकाष अजय जैनए दूसरे कलष से पदमचंद्र जैन हुकुमचंद जैनए तीसरे कलष से रविद्र सौरभ जैन एवं चौथे कलष से विनोद सुनील जैन सहित इंद्रो ने अभिशेक जयकारों के साथ किया।
मुझे लगी प्रभुपारस संग प्रीत की दुनिया क्या जानेकृभक्ति नृत्यकिया।
   जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि समाजजनो ने संगीममय भजनण्पार्ष्व बाबा तेरे चरणों की यदि धुल जो मिला जाएण्मुझे लगी प्रभुपारस संग प्रीत की दुनिया क्या जानेण्ण्तेरे द्वार पर जो आये कभी भी खाली हाथ नही जायेण्ण्भजनो की प्रस्तुति के साथ  भगवान के सक्षम नृत्य करने लगे। महिला मंडल कीे ओर से बच्चो और महिलाओ को पुरूस्कार वितरण ंिकए गए।