अब पानी के लिए गाँववासियों को नहीं होना पड़ता परेशान ग्राम पंचायत बड़ेराभारस पानी के लिए आत्मनिर्भर हरी.भरी पंचायत बनी बड़ेराभारस

Jul 17 2019

 

 

 दादा.दादी की कहानियों में जब गाँव का जिक्र होता थाए तो गाँव में तालाबए हरियालीए स्वच्छ वातावरण और खुशहाली की बात होती थी। बढ़ते शहरीकरण के कारण अब गाँवों में यह कम देखने को मिलता है। पानी के लिए आत्मनिर्भर ग्रामए भरपूर हरियाली और फलदार वृक्षों से भरपूर गाँव मिलना मुश्किल है। इस मुश्किल कार्य को ही घाटीगाँव विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बड़ेराभारस के निवासियों ने पूरा कर दिखाया है। इस गाँव के निवासी अब पानी के लिए परेशान नहीं हैं। गाँव में भरपूर हरियाली और फलदार वृक्ष हैं। यह सब कार्य गाँव के सरपंच की मेहनत और ग्रामवासियों के सहयोग से संभव हो सका है। 
    ग्राम पंचायत बड़ेराभारस के सरपंच श्रीमती सरवदी पंजाब सिंह यादव की मेहनत से इस गाँव में जल संरक्षणए जल संवर्धन और पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए हैं। किए गए कार्यों के सार्थक परिणाम भी अब पंचायत में स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों के सहयोग से ही पंचायत में एक गौशाला का निर्माण भी किया जाकर गाँव के आवारा पशुओं को गौशाला में रखकर उनकी देखभाल की जा रही है। अनेक जल संरचनाओं के निर्माण से गाँव में पानी की कमी को दूर किया गया है। इन संरचनाओं के बन जाने से गाँव का जल स्तर भी बढ़ा और गाँव के कुँए और ट्यूबवेल जल मग्न हो गए। 
    संभागीय आयुक्त श्री बी एम शर्मा ने भी कलेक्टर श्री अनुराग चौधरी एवं सीईओ जिला पंचायत श्री शिवम वर्मा के साथ ग्राम पंचायत बड़ेराभारस का भ्रमण कर ग्राम पंचायत में किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने सरपंच श्रीमती सरवदी पंजाब सिंह को बधाई भी दी है। उन्होंने कहा कि सभी पंचायतें इस प्रकार के कार्य अगर हाथ में लें तो हमारी सभी पंचायतें हरी.भरी और पेयजल के लिए आत्मनिर्भर हो जायेंगीं। 
    सरपंच श्रीमती सरवदी पंजाब सिंह का कहना है कि पहले गाँव के निवासी पानी के लिए पास के गाँव में जाते थे। पानी के अभाव के कारण अनेक परेशानियां होती थीं। जिला पंचायत द्वारा गाँव में अनेक जल संरचनाओं के लिये सहयोग किया गया। ग्रामीणों ने भी इसमें भरपूर भागीदारी कर जल संरचनाओं के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण निभाई है। 

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ग्राम पंचायत में निर्मित जल संरचनाएं 
1ण्    चैकडेम गहरीकरण एवं सुदृढ़ीकरण । सुल्तान सिंह के खेत के पास । लागत 4 लाख 97 हजार। 
2ण्    चैकडेम गहरीकरण एवं सुदृढ़ीकरण । पंजाब सिंह का पुरा । लागत 4 लाख 68 हजार । 
3ण्    रिंग बंड सह नाला निर्माण । यादव पुरा पुलिया पर । लागत 2 लाख 88 हजार।
4ण्    चैकडेम निर्माण बादामी बाई खेत के पास । लागत 14 लाख 35 हजार । 
5ण्    चैकडेम निर्माण भागचंद के खेत के पास ग्राम बड़ेराए महुअर नाला । लागत 30 लाख 81 हजार । 
6ण्    तालाब गहरीकरण एवं जीर्णोद्धार कार्य ग्राम जुझारपुर । लागत 9 लाख 22 हजार । 

यह कार्य मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत द्वारा जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कराए गए हैं। इन कार्यों से पहले आस.पास की भूमि पानी के अभाव में बंजर हो रही थी तथा जल स्तर लगभग 110 फीट पहुँच गया था। हैण्डपम्प एवं कुँए सूख गए थे और ग्रामीण पास के गाँव में जाकर पानी लाने के लिए मजबूर थे। ग्राम पंचायत में जल संरक्षण के कार्य होने से गाँव का जल स्तर लगभग 50 फीट बढ़ गया है। इसके साथ ही किसानों को भी सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। गाँव की पेयजल सस्याया का भी निदान हो गया है। 
ग्राम पंचायत बड़ेराभारस के किसान भाई पंचायत में किए गए कार्य से अत्यंत प्रसन्न् है। ग्राम के किसान श्री होतम पुत्र धनपाल का कहना है कि जल संवर्धन के कार्य से सूखे कुए और हैण्डपम्पों में पानी आ गया है और पानी की बहुत बड़ी समस्या से ग्रामवविसयों को निजात मिली है। 
केदार सिंह पुत्र गब्बर सिंह का कहना है कि पहले केवल वर्षा के पानी से ही खेती किसानी कर पाते थे। जल संरक्षण के कार्यों से अब दो फसल का उत्पादन भी ले पा रहे हैं। 
शिवराम पुत्र रघुवीर नंदन का कहना है कि खेती के साथ.साथ फलदार वृक्ष लगाने से अतिरिक्त आय भी मिलने लगी है। राजेन्द पुत्र उम्मेद सिंह का कहना है कि गाँव में जल संरचना के निर्माण से ग्रामीणों को लाभ होने के साथ.साथ गाँव के पशुओं को भी चारा और पानी उपलब्ध हुआ है और गर्मी के दिनों में पशुओं को पीने के पानी की समस्या से भी निजात मिली है। 
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिवम वर्मा का कहना है कि ग्राम पंचायत बड़ेराभारस के सरपंच और ग्रामवासियों के सहयोग से ग्राम पंचायत में जल संरक्षण और वृक्षारोपण के अच्छे कार्य हुए हैं। इन कामों के कारण ही ग्राम पंचायत की तकदीर और तस्वीर बदली.बदली सी नजर आ रही है। जिले की अन्य ग्राम पंचायतों में भी जल संरक्षण के कार्यों को हाथ में लिया जाकर ग्राम पंचायतों को पेयजल के लिए आत्मनिर्भन बनाया जा रहा है। सभी ग्राम पंचायतों में तालाबों के निर्माण के कार्य को हाथ में लिया गया है। इसके साथ ही वर्षा जल के संरक्षण के लिए भी जल संरचनाएं निर्मित की जा रही हैं। 

सहायक संचालकए मधु सोलापुरकर