आचार संहिता की नयी चुनौतियाँ

Mar 11 2019

 

लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होते ही नयी चुनौतियां भी सामने आकर खड़ी हो गयीं हैंएचुनाव आयोग के लिए इन नयी चुनौतियों से निबटना इस बार की सबसे बड़ी ष्अग्निपरीक्षाष्है ण्ये चुनौतियां तकनीक की हैं और इनका तोड़ अब तक निकाला नहीं गया है ण्लोकसभा के लिए चुनाव ११ अप्रेल से २३ मकई तक कराये जाने हैं ण्
चुनाव आयोग की मौजूदा आदर्श आचार संहिता वक्त की चुनौतियों के हिसाब से कालातीत होती नजर आती है ण्आदर्श आचार संहिता केवल पढ़ने में आदर्श लगती है वरना धरातल पर उसे प्रति.पल तोड़ा जाता है लेकिन इतनी सफाई से तोडा जाता है की कोई कुछ कर ही नहीं सकता ण्आचार संहिता जिस.जिस काम की मुमानियत करती हैएनेता वे ही सब काम जान.बूझ कर करते हैंण्मान लीजिये संहिता कहती है की किसी जातीएधर्म सम्प्रदाय को आहत करने वाली बात न की जायेएकिसी कोई व्यक्तिगत आलोचना न की जाये एलेकिन कोई मानता है क्या घ्
आदर्श आचार संहिता कहती है की पूजाघरों का इस्तेमाल मंच के रूप में मत कीजिये तो नेता जान.बूझकर थोड़ा सा बरकते हुए अपने चुनाव अभियान का श्री गणेश किसी   न किसी पूजाघर में माथा टेककर ही करते हैंएआइये रोक लीजिये एये उनकी निजी आस्था से जुड़ा मामला है जबकि ऐसा करने के निहितार्थ साफ़.साफ़ सियासी हैं यानि यदि चुनाव आयोग डाल.डाल चलता है तो नेता पात.पात पर चलते नजर आते हैं ण्
पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मैंने सवाल किया था की क्या आयोग के पास सोशल मीडिया और टीवी चैनलों का सीधा प्रसारण बाधित करने का कोई इंतजाम है टी वे मौन हो गए थे ण्आज के समय में सोशल मीडिया और टीवी चैनलों से होने वाला चुनावी सभाओं का सीधा प्रसारण ही आदर्श आचार संहिता की सरेआम धज्जियां उड़ाता हैण्आप जब तक चुनाव सभाओं के सीधे पर्सारण को बाधित नहीं करते तब तक आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं हो सकता एसोशल मीडिया पर आप किसी को कैसे रोक सकते हैं घ्क्योंकि यहां तो आपकी पहुँच है ही नहीं ण्आदर्श आचार संहिता का पालन करने के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों की लम्बी फ़ौज और एमसीएमसी कमेटियां होती हैं लेकिन इनकी भी अपनी सीमाएं हैं एउनके आगे ये सब आशय हैं ण्
चुनाव आयोग  को शायद पता नहीं हो लेकिन हकीकत ये है की चुनाव पर्यवेक्षक चुनाव ड्यूटी के समय सबसे जयादा अनादर्श प्रस्तुत करते हैं एवे आयोग के काम के लिए मिली शासकीय सुविधाओं का सबसे अधिक दुरुपयोग करते हैंण्वे चुनाव पर्यवेक्षण को छोड़ पर्यटन और मौज.मस्ती में जुट जाते हैंण् जिला निर्वाचन अधिकारी उनका सेवक बन जाता है एआदर्श आचार संहिता अपने पर्यवेक्षकों के आचरण को भी बाधित नहीं करती जब आयोग की आँख.कान ही खराब हों तो आप कैसे अपेक्षा कर सकते हैं की जो होगा सो सब ठीक ही होगा घ्
इस बात में कोई दो राय नहीं की टीएन शेषन ने आदर्श आचार संहिता का जो हुआ खड़ा किया था उसका साफ़.सुथरे चुनाव करने में बड़ा योगदान है और बाद के वर्षों में इस हुआ का आकार बड़ा ही होता गया लेकिन असर व्यापक नहीं हुआ ण्अब शेषन कोई तरह दहाड़ने और फुफकारने वाले चुनाव आयुक्त नहीं आ रहे एउलटे पिछले दिनों में चुनाव आयोग खुद सवालों के घेरे में आ गयाएप्रतिपक्ष ने आरोप लगाया की आयोग सरकार के इशारों पर काम करता है यहां तक की चुनाव कार्यक्रम घोषित करने में भी सरकार की सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है ण्
इस बार के चुनाव में सेना का शौर्य जाने अनजाने एक सियासी मुद्दा हैएसेना की तस्वीरों के सियासी इस्तेमाल को रोकने के लिए इस बार उच्चतम न्यायालय तक को हस्तक्षेप करना पड़ाएचुनाव आयोग ने भी इस वारे में स्नज्ञान लिया लेकिन देर से ण्मै देख रहा था की उधर आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर रहा था दूसरी तरफ कुछ चैनल इन खबरों के साथ सेना का चॉपर उड़ाते दिखाई दे रहे थेएकहने का आशय ये है की इस बार राजनीतक दलों से कहीं अधिक उनके माउथपीस बन चुके चैनल आदर्श अचार संहिता तोड़ने पर आमादा हैंएण्ऐंकर सेना की वर्दियां पहने दिखाई दे रहे हैं ण्
चुनाव आयोग यदि देश में निष्पक्ष चुनाव कराना चाहता है तो सबसे पहले उसे चुनावी रैलियों के सजीव प्रसारण को बाधित करना होगा एबल्कि सीधे प्रसारण के खर्च को वास्तविक खर्च मानकर पार्टी के चुनावी खर्च में शामिल करना होगा यानि उसे श्पेडन्यूजश् मानना होगा एदुसरे सीधे प्रसारण की समय सीमा और प्रसारण का क्षेत्र भी नियंत्रित करना होगा ताकि नेतागण दूसरे चुनाव  क्षेत्रों को प्रभावित न कर सकें ण्वर्तमान में ये ही सबसे बड़ी चुनौतियां हैं ण्
आपको बता दें कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 90 करोड़ लोग वोट डालेंगेण् 18 से 19 साल के डेढ़ करोड़ वोटर इस चुनाव में पहली बार हिस्सा लेंगेण् मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक आठ करोड़ 43 लाख नए मतदाता इस बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगेण्लोकतंत्र के इस महायज्ञ को सम्पादित करने के लिए आदर्श आचार संहिता का नयी चुनौतियों के हिसाब से सज्जित होना बहुत जरूरी है एचुनाव आयुक्त शायद इस बारे में चिंतित भी हों 
चुनाव आयोग जब तक आदर्श आचार संहिता तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त और प्रभावी कार्रवाई नहीं करेगा तब तक लोग उससे डरने वाले नहीं हैंएख़ास तौर पर नेताण्अभी आयोग केवल आपराधिक प्रकरण कायम करने तक सीमित है एआयोग ने अभी तक किसी को संहिता के उल्लंघन करने पर चुनाव लड़ने से रोका नहीं है ण्अब देखना होगा की आने वाले दिनों में आदर्श आचार संहिता आदर्श रह पाती है या नहीं घ्