जेयू में सहरिया जनजातियों में सामाजिक-सांस्कृतिक स्वरूप के बदलते परिदृश्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू

Dec 20 2025

ग्वालियर। सहरिया समाज का भी अपना समृद्ध इतिहास है। शहरीकरण और पारंपरिक भू-क्षेत्र से कटाव के कारण उनकी जीवनशैली में बदलाव आया है। त्योहारों और दैनिक जीवन में उनके बीच जाकर ही उनके वास्तविक तौर तरीकों, सौंदर्यबोध, घरों की सजावट, जड़ी बूटियों और औषधीय ज्ञान को समझा जा सकता है। यह बात दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान भोपाल के निदेशक डॉ. मुकेश कुमार मिश्र ने कही। 
वह जीवाजी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, जनजातीय अध्ययन एवं विकास केन्द्र तथा प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वावधान में सहरिया जनजातियों में सामाजिक-सांस्कृतिक स्वरूप के बदलते परिदृश्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर बीज वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. राजकुमार आचार्य ने की।
मुख्य अतिथि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव डॉ. ओमजी उपाध्याय वर्चुअल जुड़े। आयोजन सचिव डॉ. शांतिदेव सिसोदिया एवं कुलसचिव डॉ. राजीव मिश्रा भी मौजूद रहे। मुख्य अतिथि डॉ. ओमजी उपाध्याय ने कहा कि सहरिया जनजाति का जीवन दर्शन प्रकृति और वन के साथ सहअस्तित्व पर आधारित रहा है। उनकी आत्मनिर्भर व्यवस्था, लोकगीत, लोककथाएं और आस्थाएं प्रकृति संरक्षण का जीवंत उदाहरण हैं। 
अध्यक्षीय कर रहे डॉ. राजकुमार आचार्य ने कहा कि सहरिया जनजाति ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजकर रखा है। आज आवश्यकता है कि सबको साथ लेकर चलने की सोच विकसित की जाए। कुलसचिव डॉ. राजीव मिश्रा ने आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में सांस्कृतिक पहचान की उपेक्षा पर चिंता जताते हुए जनजातीय समुदायों के पारंपरिक ज्ञान विशेषकर औषधीय ज्ञान के संरक्षण पर बल दिया। 
इस मौके पर डॉ. शांतिदेव सिसोदिया द्वारा लिखित पुस्तक न्यू ट्रेंड्स इन आर्कियोलॉजी का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन समीक्षा भदौरिया ने किया।
प्रथम तकनीकि सत्र में जेयू के कार्यपरिषद सदस्य राकेश सहरिया एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सह अधीक्षक डॉ. शंभूनाथ यादव ने विचार रखे। इस सत्र में 12 शोधपत्र प्रस्तुत किये गए। इससे पहले प्रस्तावना सत्र में डॉ. मुकेश कुमार मिश्र, डॉ. राकेश कुमार शर्मा, डॉ. राघवेंद्र यादव, डॉ. कुमार रत्नम, डॉ. आरएस पवार, डॉ. मनोज कुमार कुर्मी एवं डॉ. चेतराम गर्ग ने संगोष्ठी के विषय पर चर्चा की।
जेयू और ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान के बीच एमओयू हस्ताक्षर
आयोजन सचिव डॉ. शांतिदेव सिसोदिया ने बताया कि संगोष्ठी के दौरान ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी, हमीरपुर और जेयू के बीच शैक्षणिक एवं शोध सहयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। संस्थान के प्रतिनिधि डॉ. चेतराम गर्ग और डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस एमओयू से विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स और शोधार्थियों को जनजातीय अध्ययन, इतिहास और संस्कृति से जुड़े अनुसंधान कार्यों में सहयोग, मार्गदर्शन और संसाधनों का लाभ मिलेगा।