तत्त्वमसि वेदांत और संघ चिंतन के अद्वैत को समझाने वाली अद्भुत कृति-डॉ नुसरत

Dec 08 2025

ग्वालियर। सिटी सेंटर स्थित एक निजी होटल मे आयोजित कार्यक्रम में श्रीधर पराडक़र के उपन्यास तत्त्वमसि पर विद्वानों द्वारा विमर्श किया गया। कार्यक्रम में पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए लेखक ने शंका व जिज्ञासा समाधान करते हुए उपन्यास में विभिन्न पात्रों के संदर्भ में विस्तृत चर्चा की।
 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीधर पराडक़र, पूर्व संगठन मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जयप्रकाश राजौरिया भाजपा जिला अध्यक्ष, मुख्य वक्ता डॉ. नुसरत मेंहदी, निदेशक उर्दू अकादमी भोपाल, विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव उपस्थित रहे। 
प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पहार भेंटकर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। सरस्वती वंदना शुभम् सिसौदिया ने प्रस्तुत की। इसके पश्चात् अतिथियों का स्वागत शॉल, श्रीफल, पुष्पहार एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया।
 जयप्रकाश राजौरिया द्वारा श्रीधर पराडक़र के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर साहित्यिक अवदान एवं व्यक्तित्व का उल्लेख किया। मुख्य वक्ता डॉ. नुसरत मेंहदी ने कहा श्रीधर पराडक़र का उपन्यास तत्त्वमसि वेदांत और संघ-चिंतन के अद्वैत को समझाने वाली अद्भुत कृति है। यह उपन्यास दिखाता है कि संघ का मूल भाव व्यक्ति में नहीं, दूसरे में ब्रह्मत्व देखने की सामाजिक साधना है। 
यह पुस्तक संघ पर व्याप्त भ्रमों को सरलता से दूर करती है संक्षेप में, तत्त्वमसि राष्ट्र-सेवा को आध्यात्मिक अनुभूति से जोडऩे वाला साहित्यिक प्रमाण है, जहाँ व्यक्ति, समाज और राष्ट्र एक ही चेतना के रूप में प्रकट होते हैं।
इसके पश्चात करुणा सक्सेना द्वारा श्रीधर पराडक़र काका की औपन्यासिक कृति तत्त्वमसि पर उनका साक्षात्कार लिया । विशिष्ट अतिथि डॉ .कुमार संजीव ने पुस्तक पर सकारात्मक चिंतन एवं स्वयंसेवक के गुणों का उल्लेख करते हुए पुस्तक के महत्व को बताते हुए कार्यक्रम की सफलता पर सभी अतिथियों एवं उपस्थित जनों का आभार प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर प्रकाश मिश्र, राजेश शर्मा, घनश्याम भारती, डॉ राजरानी शर्मा, आशा वर्मा, राम चरण रुचिर, डॉ मंदाकिनी शर्मा, डॉ ज्योत्स्ना सिंह, डॉ मंजुलता आर्य, मुकुंद पराडक़र, डॉ सुरेश सम्राट, राजेश अवस्थी लावा आदि उपस्थित रहे।