कुरूक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब,गीता को कहते

Dec 01 2025

कुरुक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब , गीता को कहते।
तात श्री पितामह गुरू दोर्ण, अर्जुन से लड़ते।।
 
क्षणभंगुर है नश्वर काया, लोभ छोड़ रण में।
अजर अमर है आत्मा फिर भी , मृत्यु हुई क्षण में।।
पांडव भटकें वन वन भाई, संकट भी सहते।
कुरुक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब, गीता को कहते।।
 
सत्य धर्म को जानो अर्जुन, रण में आज लड़ो।
आज द्रोपदी का बदला भी,लेना पार्थ भिड़ो।।
कायर मिलकर मारे अभि को, अर्जुन कब रहते।
कुरुक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब, गीता को कहते।।
 
 मोह त्याग दो हे अर्जुन अब, मिथ्या जीवन है।
उठो निराशा छोड़ो हठ भी, लड़ने का मन है।।
भरी सभा में साड़ी खींची, पापी सब दहते।
कुरुक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब, गीता को कहते।।
 
 मन में संयम रखना अर्जुन, धीरज तुम धरना।
 अंत सदा है मृत्यु लोक में , सबको है मरना।
कृष्ण सारथी पाकर रण में, चिंता क्यों करते।
कुरुक्षेत्र में कृष्ण खड़े जब, गीता को कहते।।
 
       शैलेन्द्र पयासी, साहित्यकार 
     विजयराघवगढ़, कटनी, एमपी