हरिहर मंदिर में वैकुंठ चतुर्दशी मनी

Nov 04 2025

ग्वालियर। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी मंगलवार को भक्त वैकुंठ चतुर्दशी मना रहे हैं। इस अवसर पर सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की कतारें लग थी। वैकुंठ चतुर्दशी पर कैलाश टॉकीज के पीछे स्थित सूबे की गोठ के हरिहर मंदिर में सुबह 4 बजे कांकड़ आरती हुई। आरती के बाद भगवान का अभिषेक किया गया। इसके बाद मंदिर के पट खोल दिए गए। मंदिर के पट मंगलवार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है। इसकी स्थापना माधवराव पराडक़र ने कराई थी। यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर एक ही प्रतिमा में भगवान हरि और हर विराजमान हैं। इनके साथ ही इसी प्रतिमा में मां लक्ष्मी-पार्वती और उनके वाहन हाथी, गरुण, नंदी और शेर भी विराजमान हैं।
अब सृष्टि का कार्यभार संभालेंगे श्रीहरि
वैकुंठ चतुर्दशी के संबंध में हिंदू धर्म में मान्यता है कि संसार के समस्त मांगलिक कार्य भगवान विष्णु के सानिध्य में होतें हैं, लेकिन चार महीने भगवान विष्णु के शयनकाल में सृष्टि का सारा कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं तो उसके बाद पडऩे वाली चतुर्दशी के दिन भगवान शिव उन्हें पुन: कार्यभार सौंपते हैं। इसीलिए यह दिन उत्सवी माहौल में मनाया जाता है।