खयाल गायक पं. गिरींद्र तलेगांवकर को सम्मानित किया

Oct 27 2025

ग्वालियर। सांगीतिक संस्था रागायन की ओर से गंगादास की बड़ी शाला में आयोजित पंडित एकनाथ सारोलकर (दाजी) स्मृति संगीत समारोह श्रद्धा, समर्पण के सुरों की मिठास से सराबोर रहा। इस अवसर पर जयपुर के खयाल गायक पं. (डॉ.) गिरींद्र तलेगांवकर को शॉल और श्रीफल भेंटकर पंडित एकनाथ सारोलकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। संचालन अनिकेत तारलेकर ने किया। कार्यक्रम का समापन जयपुर से आए पं. (डॉ.) गिरींद्र तलेगांवकर के खयाल गायन से हुआ। 
उन्होंने राग मारवा में तीन बंदिशें प्रस्तुत कीं, विलंबित झूमरा ताल में अब मोरे घर आए, मध्यलय एकताल में हो गुनियन मिल तथा द्रुत तीनताल में आज माने न मोरा जिया। तलेगांवकर ने अपनी अद्भुत तानों, लयकारी और भावपूर्ण अभिव्यक्ति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने भजन प्रस्तुत कर अपने गायन का समापन किया। संगत में तबले पर डॉ. विनय विंदे और हारमोनियम पर संजय देवले रहे।
सांगीतिक प्रस्तुतियों की शुरुआत डॉ. वीणा जोशी की शिष्या वैष्णवी गुप्ता ने राग पूरिया धनाश्री में दो बंदिशों से की। विलंबित एकताल में अब तो रुत मान और द्रुत झपताल में तोरे चरण कैसे पाऊं। वैष्णवी ने दोनों बंदिशें भावपूर्ण और सधे अंदाज में प्रस्तुत कीं। गायन का समापन उन्होंने तराने से किया। तबले पर सजग माथुर और हारमोनियम पर अक्षत मिश्रा ने संगत दी।