भगवान को केवल निस्वार्थ प्रेम से ही प्राप्त किया जा सकता है

Oct 18 2025

ग्वालियर। जो अपनी समस्त इंद्रियों द्वारा केवल भक्ति रस का ही पान करे वही गोपी है। उद्धवजी जैसे ज्ञानियों का ज्ञान भी गोपियों के प्रेम के आगे नही चला, भगवान को तो केवल निस्वार्थ प्रेम से ही प्राप्त किया जा सकता है। यह बात कांच मिल कम्युनिटी हाल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक महंत नीलमणि दास ने कथा के सातवें दिन कही। 
महंतश्री ने कहा कि भक्तों को गोपियों का विरह, अक्रूरजी के साथ बलराम और श्री कृष्ण का मथुरा गमन, कंस का उद्धार, भगवान का सांदीपनि गुरुकुल में जाकर अल्प काल में ही संपूर्ण विद्याओं का अध्ययन करना आदि कथाओं का भक्तों को रसपान कराया एवं शुकदेव विदाई परीक्षित के मोक्ष के साथ कथा का विश्राम हुआ।
इस अवसर पर कांग्रेस विधायक डा. सतीश सिंह सिकरवार, कथा परीक्षित डा. शिवनाथ सिंह भदौरिया एवं ऊषा भदौरिया, अभिजीत सिंह, वंदना भदौरिया और रुद्र प्रताप सिंह भदौरिया ने महंतश्री को सम्मानित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।