डॉक्टर अंबेडकर पर विवादित बयान के बाद

Oct 15 2025
ग्वालियर। डॉक्टर अंबेडकर पर विवादित बयान के बाद ग्वालियर में तलवारें तो काफी खिंची हुई थीं पर प्रशासन और पुलिस ने तैयारियां इस तरह से की कि ग्वालियर के खुशनुमा माहौल में किसी को भी दिवाली से पहले बारूद फैलाने का मौका नहीं मिला।
बुधवार 15 अक्टूबर को आंदोलन का तो ऐलान कर दिया था पर ग्वालियर जिले की सीमा में कहीं भी आंदोलन की आहट तक सुनाई नहीं दी। बुधवार की सुबह से ही कलेक्टर रुचिका सिंह, आईजी अनिल सक्सैना, डीआईजी अमित सांघी, एसएसपी धर्मवीर सिंह ने पूरे शहर का भ्रमण करना शुरु कर दिया तो पुलिस ने तडक़े से मोर्चा संभाल लिया था।
पुलिस ने व्यवस्था ऐसी की थी कि कोई भी परदेशी पुलिस की नजरों से बचे बिना शहर में प्रवेश ही नहीं कर सकता था। कई लेयर की सिक्योरिटी थी। मोहना से लेकर महाराजपुरा, पुरानी छावनी से लेकर डबरा तक की सरहद पर पुलिस मुस्तैद थी।
जिले में एंट्री लेने वाले हर वाहन की चेकिंग हो रही थी और पूछा जा रहा था, जा कहां रहे हो। यहां से फारिग होने के बाद जब ग्वालियर महानगर की सीमा में प्रवेश की बारी आई तो यहां भी पुलिस के हर्डल रास्ता रोके मिले और सवाल वही, आ-कहां से रहे हो। जाना कहां है।
प्रशासन और पुलिस इस कथित आंदोलन से निपटने को लेकर पिछले एक सप्ताह से तैयारियां कर रहा था। शांति पसंद लोगों ने अपने इरादे पहले ही बता दिए थे और इसके बाद पुलिस ने तय कर लिया कि अशांति चाहने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन ने किसी भी तरह के आंदोलन-प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी तो पुलिस ने बलवा किट के साथ जवानों को पूरे शहर में तैनात कर दिया।
प्रशासन और पुलिस की मुस्तैदी का नतीजा भी शहर में देखने को मिला। सार्वजनिक वाहनों के पहिए पहले की तरह घूमते रहे। दुकानों के शटर समय से उठ रहे थे। बाजार अपने समय से खुले। रोज कमाने-खाने वाले समय से अपने ठौर पर पहुंच गए और काम पर लग गए। नाश्ते की दुकानों पर रोजाना की तरह खाने के शौकीनों का मजमा था। चाय की चुस्कियों का दौर चाय के ठेलों पर भी तडक़े से जारी था। ग्वालियर के सभी बाजारों में दोपहर होते-होते रौनक दिखने लगी।
स्कूल-कॉलेज बंद, टीचर पहुंचे
शहर में आंदोलन के चलते शहर के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल बंद रहे। कई छात्रों को स्कूल बंद होने की जानकारी नहीं थी। इसके चलते वे स्कूल पहुंच गए। स्कूल पहुंचने पर उन्हें स्कूल से वापस घर लौटा दिया गया। वहीं स्कूलों के टीचर अपने तय समय पर स्कूल पहुंचे थे। वहीं आंदोलन के चलते शहर के कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति कम रही। शहर के आस-पास के कॉलेजों के जिन कॉलेजों में छात्र बसों से जाते हैं वे भी कॉलेज नहीं गए। आंदोलन के कारण कॉलेजों की बसें नहीं चलाई गई। इसके मैसेज बीती रात ही छात्रों के मोबाइल पर कॉलेज प्रबंधन ने भेज दिए थे।
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