जेयू के छात्र छात्राओं ने मितावली, पढ़ावली, बटेसर व ककनमठ का किया शैक्षणिक भ्रमण

Oct 14 2025

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के एमए इतिहास व पुरातत्व एवं पीजी डिप्लोमा संग्रहालय विज्ञान के प्रथम सेमेस्टर के छात्र छात्राओं को ग्वालियर चंबल अंचल के पुरातात्विक महत्व को जानने के लिए मितावली, पड़ावली, ककनमठ (सिहोनिया) का शैक्षणिक भ्रमण कराया। इस मौके पर जेयू के पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. शांतिदेव सिसोदिया ने इस क्षेत्र के ऐतिहासिक, धार्मिक परंपराओं एवं अन्य सामाजिक मान्यताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि तात्कालिक समय में राजाओं एवं समाज का इन मंदिरों के निर्माण एवं संचालन में कितना योगदान रहा होगा?
डॉ. सिसोदिया ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र अवसादी चट्टानों का क्षेत्र है और इन्ही पत्थरों से यहां के मंदिर बनाये गए हैं। साथ ही इस क्षेत्र की स्थानीय वनस्पति एवं जीव जन्तुओं के बारे में बताते हुए कहा कि इन वनस्पति एवं जीव जंतुओं का अंकन हमें इन मंदिरों में भी दिखाए देता है, इससे सिद्ध होता है कि तत्कालीन समाज हमारे पर्यावरण के प्रति जागरूक था। भ्रमण में छात्र छात्राओं को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ व्यवहारिक एवं प्रायोगिक ज्ञान भी मिला। इस अवसर पर राहुल कुमार, वैभव शर्मा, समिन खान, राजकुमार गोखले, राहुल बरैया, प्रिया सुमन, पूर्णिमा यादव, धर्मेंद्र, अनन्या, शिवम, हर्षिता, लावन्या सहित 38 शोधार्थी एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।
डॉ. सिसोदिया ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र प्राचीनकाल से ही शैव उपासना का एक प्रधान केंद्र रहा है और कैसे तत्कालीन राजवंश गुर्जर-प्रतिहार ने अपनी शिल्प प्रियता का परिचय देते हुए पूरे मध्यभारत को सुंदर एवं भव्य देवालयों से सुसज्जित किया।
उन्होंने देश के दुर्लभ चौसठ योगिनी मन्दिर स्थापत्य की बारीकियों के साथ ही पूर्व मध्यकाल के जल निकासी व्यवस्था को भी समझाया। साथ ही बताया कि किस तरह आज से सदिओं पहले भी लोगों के पास उन्नत संसाधन थे।