गुरू का तिरस्कार करने वाला बनता है ब्रह्म राक्षस: राधेश्याम महाराज

Sep 11 2025

ग्वालियर। जो अभिमान में चूर होकर गुरू की अवहेलना करता है। गुरू से वाद-विवाद करता है। उसे अगले जन्म में मिर्गी रोग होता है तथा वह वन में भटकने वाला ब्रह्मराक्षस बनता है। यह विचार दंदरौैआधाम शताब्दीपुरम में वीकेयर द्वारा आयोजित हो रही श्रीमद्भागत कथा के चतुर्थ दिवस गुरूवार को राधेश्याम महाराज ने व्यक्त किए। इस मौैके पर रोकडिय़ा सरकार महाराज का विशेष सानिध्य रहा।
उन्होंने विभिन्न प्रकार के पापाचार करने वालों की अगले जन्म की यौनियों का जिक्र करते हुए बताया कि ब्रह्म हत्या करने वाला कोड़ी, गौहत्या करने वाला कुबड़ा और मूर्ख होता है। गर्भपात करने वाला रोघी और गुरूपत्नी गमन करने वाला चर्मरोगी होता है। मदिरा पीने वाला मल का कीड़ा बनता है। अभक्ष पदार्थ खाने वाले का पेट फूलता है। झूठी गवाही देने वाला गूंगा होता है। भेदभाव करने वाला काना होता है। विवाह मेें विघ्न पैदा करने वाला के ओंठ कटा हुआ होता है। पुस्तक की चोरी करने वाला अंधा तथा गौ और ब्राह्मण को लात मारने वाला विकलांग होता है। झूठ बोलने वाला बहरा तथा किसी को जहर देकर मारने वाला पागल होता है। सोने की चोरी करने वाला निर्धन और अनाज की चोरी करने वाला चूहा बनता है। जहर पीकर मरने वाला नाग बनता है। छल करने वाला उल्लू बनता है। जो ब्राह्मण को दान करके मुकर जाता है वो सियार बनता है। पति से नित्य कलह करने वाली स्त्री जौंक तथा पति से कटु बोलने वाली जुंआ बनती है। परपुरूष गामिनी स्त्री दो मुंह वाली सांपिन बनती है।
इस मौके पर कथा परीक्षत साधना राजीव कोठारी, गीता नगरिया, भास्कर शर्मा, एसके शुक्ला, जीडी नागाइच, संदीप रावत, भास्कर शर्मा, सागर नाती, मीना चौरिसिया, एचबी करोठिया आदि मौजूद रहे।