स्वयं को छात्र समझकर लगातार सीखने की चाह बनाए रखो: प्रो सहस्त्रबुद्धे

Sep 09 2025

ग्वालियर। जब तक आप स्वयं छात्र समझेंगे तब तक आप सीखते रहेंगे इसलिए लगातार सीखने की चाह अपने अंदर जीवंत रखो। मैं आज भी स्वयं को एक छात्र ही मानती हूं। इसके लिए अपने शिक्षक और उनके द्वारा आपको सिखाई जाने वाली कला या विधा का सम्मान करना भी बहुत जरूरी है। यह बात राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो स्मिता सहस्त्रबुद्धे ने कही।
उन्होंने विश्वविद्यालय के तानसेन सभागार में मंगलवार को राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यक्रम में शहर के चित्रकार वसंत धुमाल को शॉल, श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय के शिक्षकों का सम्मान भी छात्र छात्राओं द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गायन विभाग के छात्रों द्वारा प्रस्तुत गुरु वंदना से हुआ।
इस दौरान संगीत संकाय के छात्र छात्राओं ने राग केदार आश्रित, ताल कहरवा में अद्भुत प्रस्तुति दी, जिसके बोल थे, ज्ञान सदा ही सबसे बड़ा है। इनमें सलोनी भदौरिया, पूर्णिमा नायक, राधिका झा, महक विश्वकर्मा, गगन, आयान खां, लोकेंद्र उदैनिया,प्रणव उपाध्याय शामिल रहे। उनके साथ हारमोनियम पर पुष्कल अरोरा ने, तबले पर शौर्य मिश्रा, बांसुरी पर अक्षत मिश्रा ने संगति की।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव अरूण सिंह चौहान, डॉ. पारूल दीक्षित, डॉ अंजना झा, डॉ. मनीष करवडे, डॉ. संजय सिंह, डॉ. हिमांशु द्विवेदी, डॉ. श्याम रस्तोगी, पीआरओ कुलदीप पाठक सहित विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक, संगतकार और अतिथि शिक्षक मौजूद रहे। संचालन डॉ. विकास विपट ने किया।