रुक्मणी-कृष्ण का हुआ विवाह

Jul 03 2025
ग्वालियर। सनातन धर्म मंदिर में भागवत कथा में कथा व्यास पं. विष्णु उपाध्याय शास्त्री ने कालयवन का उद्धार, राजा मुचुकुंद का मोक्ष, जरासंध वध, रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाते हुए कहा रुक्मिणीजी का विवाह शिशुपाल से कराने की तैयारी की गई थी, परंतु रुकमणी जी ने मन ही मन द्वारकाधीश श्री कृष्ण को पति रूप में स्वीकार कर लिया था।
उन्होंने आर्त होकर श्रीकृष्ण से प्रार्थना की और अपने गुरुदेव के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र लिखकर द्वारकाधीश के पास भेजा कि आप स्वयं आकर मेरा वरण कर लीजिए अन्यथा मेरा विवाह इस दुष्ट शिशुपाल के साथ जबरदस्ती कर दिया जाएगा। उस अवस्था में मेरा जीवित रहना असंभव होगा।
रुक्मणी की आर्त पुकार सुनकर द्वारकाधीश श्री कृष्ण कुंदनपुर आकर रुक्मणी को अपने साथ रथ में बिठाकर द्वारकापुरी ले गए वहां रूक्मिणी के साथ विवाह की संपन्न हुआ। रुक्मिणी विवाह के अवसर पर श्री शालिग्राम जी की बारात निकाली गई, कथा स्थल पर भव्य विवाह मण्डप में श्री रुक्मिणीजी-ठाकुर जी का वैदिक मंत्रोच्चार से विधि विधान से विवाह संपन्न हुआ।
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