संस्कृति और संस्कार के साथ जैन कर्म के सिद्धांतों को समझे और उतारे -डॉ विजय जैन

May 22 2025

ग्वालियर। भारतीय जैन मिलन क्षेत्रीय क्रमांक 2 के अंतर्गत युवा जैन मिलन नेमिनाथ शाखा ग्रेटर ग्वालियर के तत्वाधान में चल रहे जैन बाल संस्कार शिक्षण शिविर में महिलाएं और पुरुष शिवार्थीयो को छहढाल पढ़ाते हुए विद्वान विजय जैन ने कर्म सिद्धांत के बारे में बताया। वही शिविर में विद्वान मंजू जैन ने मोटिवेशन से अनमोल मनुष्य जीवन को कैसे संभाले विषय पर शिवर्थियो पर प्रकाश डाला।
जैन बाल संस्कार शिविर के चौथे तीसरे दिन जैन बाल शिविर के अंतर्गत छहढाला ओर प्रौढ़ कक्षा की शिक्षा दे रहे विद्वान डॉ विजय कुमार जैन ज्ञान की सीखा महिलाओ व शिवार्थीयो को सांबोधित करते हुए बताया कि पापों का त्याग ही व्रत है। अणुव्रत श्रावक तथा महाव्रत मुनि धारण करते है। आहार का त्याग करके आत्मा में लीन रहना उपवास है। आपने गुणव्रत एवम शिक्षाव्रत के साथ सभा के अंत में आपने कर्म सिद्धांत का स्वरूप कर्म वह तंत्र है जो जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। किसी प्राणी के वर्तमान जीवन का सुख उसके पिछले जीवन में उसके कार्यों की नैतिक गुणवत्ता का परिणाम है। एक आत्मा केवल उससे जुड़े सभी कर्मों से छुटकारा पाकर ही मुक्ति प्राप्त कर सकती है। जिसमे उन्होंने सात तत्त्व, व्रत का स्वरूप, अणुव्रत तथा महाव्रत के बारे में बताया।