जहां पर जनजातीय रहा, वही क्षेत्र गुलामी से मुक्त रहा:महेश शर्मा
Apr 07 2025
ग्वालियर। भारतीय इतिहास में जनजातीय समाज और उनके नायक उपेक्षित रहे हैं, उन्हें जो स्थान मिलना चाहिए वह नहीं मिल सका। भारतीय संस्कृति, परंपरागत पीढ़ी दर-पीढ़ी मूल्य हस्तांतरण एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम जैसे क्षेत्रों में उनके कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जहां पर जनजातीय रहा वह क्षेत्र गुलामी से मुक्त रहा। हमें अपने पूर्वजों का सम्मान करना पड़ेगा। तभी एक अच्छे समाज का निर्माण होगा। यह बात सोमवार को जेयू के गालव सभागार में आयोजित जनजातीय गौरव (ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान) विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पद्मश्री सम्मानित संस्थापक, शिवगंगा समग्र ग्राम विकास परिषद, झाबुआ महेश शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि कही। प्रो. शांतिदेव सिसौदिया के स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रथम जननायक टंट्या भील सम्मान से सम्मानित एवं आजीवन समर्पित कार्यकर्त्ता राजाराम कटारा व मुख्य वक्ता के रूप में युवा कार्य प्रमुख, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम वैभव जी सुरंगे उपस्थित रहे। वहीं अध्यक्षता जेयू के कुलगुरू प्रो. राजकुमार आचार्य ने की।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वैभव सुरंगे ने कहा कि रानी दुर्गावती ने विषम परिस्थितियों में शासन व्यवस्था संभालने के साथ ही देश की स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई। साथ ही जनजातियों की संस्कृति एवं परंपराओं के बारे में जानकारी दी तथा छात्र छात्राओं को प्रेरित किया कि परंपरा व संस्कृतियों को बचाए रखे। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज में एक से एक योद्धा हुए हैं। जनजातीय समाज के प्रति गौरव का भाव होना चाहिए। विकसित भारत बनाने में जनजातीय समाज का महत्वपूर्ण योगदान होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित राजाराम कटारा ने कहा कि आधुनिक विज्ञान के जमाने में हमने काफी जानकारी जुटा ली है, लेकिन अपने पास वाले लोगों को ही नहीं पहचानते जिसमें से एक है जनजातीय समाज। जनजातीय समाज ने ही जल जंगल जमीन दिया है। आदिवासी समाज जमीन को जमीन नहीं माता कहता है । भारत के विकास में जनजातीय समाज का सहयोग लिया जा सकता है। जनजातीय समाज के बारे में लोगों को धारणा बदलनी होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जेयू के कुलगुरू प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि हमारा जनजातीय समाज ईश्वरीय रूप है। जनजातीय समाज के योगदान को समाज में स्थापित करना होगा।इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल श्रद्धांजलि देना है, बल्कि देश भर के जनजातीय समुदायों की वीरता, गौरव और पहचान को उजागर करना भी है। कुलसचिव अरूण सिंह चौहान ने कहा कि इतिहास में जनजातीय समाज के संघर्ष को दिखाया गया है। उससे भी अधिक संघर्ष उन्होंने किया है। जनजातीय समाज के कारण ही भारत भारत है। इन्हीं की वजह से भारत फिर विश्व गुरु बनेगा। कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों को शाल श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इसी दौरान जनजातीय समाज के नायकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
इस अवसर पर प्रो. जेएन गौतम, प्रो. एसएन मोहापात्रा, प्रो. मुकुल तेलंग, प्रो. एसके सिंह, प्रो. शांतिदेव सिसौदिया, डॉ. नवनीत गरूड़, डॉ. सपन पटेल, प्रो. विवेक बापट, प्रो. हेमंत शर्मा, प्रो. राजेंद्र खटीक, प्रो. मनोज शर्मा, प्रो. कुमार रत्नम, डॉ. विमलेंद्र सिंह राठौर, कृष्णा सिंह, डॉ. सीमा शर्मा सहित छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।