श्रीराम के आदर्श के बिना श्रीकृष्ण प्राप्ति असम्भव:राघव ऋषि

Mar 24 2025

ग्वालियर। श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिन राघव ऋषि ने कहा जीव प्रभु की भक्ति करता है तो उसे शक्ति मिलती है। जीव यदि पूरी निष्ठा से प्रभु भक्ति करता है तो वह बलि बनता है एवं उस पर कृपा करने के लिए भगवान स्वयं वामन के रूप में पधारते हैं। परमात्मा जब द्वार पर पधारते हैं तो तीन कदम पृथ्वी अर्थात् तन, मन, धन जीव से मांगते हैं। तन से सेवा, मन से सुमिरन व धन से सेवा जो बलि की भांति करता है भगवान उसके द्वारपाल बनते हैं और वही अक्षुण्ण साम्राज्य को प्राप्त करता है। सत्व, रज, तमस इन तीनों गुणों को भगवान को अर्पण करो। शरीर से भगवान की सेवा करने से तमोंगुण, धन से रजोगुण, और मन से समर्पण व सम्बन्ध जुड़ता है।
सौरभ ऋषि ने सिर पर सीताराम भजन सुनाया तो उपस्थित जनसमुदाय भावविभोर हो उठे। श्रद्धालु पुष्प वृष्टि व नृत्य करने लगे। रामकथा मार्गदर्शक है। अपना मन कैसा है यह जानना है तो रामायण पढ़ो। रामायण का मनन करने से उसमें अपना मन दिखाई देगा।
कृष्ण चरित्र की चर्चा करते हुए ऋषि जी ने कहा कि मन यदि सांसारिक चीज़ों का चिंतन छोड़ दे तो वह प्रभु में लीन हो सकता है। कृष्ण कथा मन को खींचती है इस कथा से ज्ञान, वैराग्य, भक्ति बढ़ती है। भागवत की कथा वक्ता और श्रोता दोनो को प्रेम रस में डुबा देती है। सांसारिक विषयों को भूलने से सच्चा आनन्द प्राप्त होता है। कृष्ण कथा संसार व देह भान को भी भुला देती है।
कथा के मुख्य यजमान श्रीमती मधु गोयल विनोद गोयल द्वारा कथा झांकी, पोथी एवं व्यासपीठ पूजन किया गया। सर्वश्री आनन्द मोहन अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, प्रमोद गर्ग, संजय शर्मा, अम्बरीष गुप्ता, उमेश उप्पल, देवेंद्र तिवारी, हरिओम मिश्रा, रामसिंह तोमर, रामप्रसाद शाक्य, बद्रीप्रसाद गुप्ता, उदय प्रकाश चितौडिय़ा, मनोज अग्रवाल, मनीष गोयल, अमित शिवहरे, विष्णु पहारिया, पंकज श्रीवास्तव, प्रवीण त्रिपाठी, मनीष अग्रवाल द्वारा कथा आरती संपन्न हुआ।