सुदामा जैसा श्रीकृष्ण का भक्त न हुआ है न ही होगा: लाडली सरकार

Nov 20 2024

ग्वालियर। सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य एवं आकिंचन भक्त थे, ऐसा भक्त आज तक न तो हुआ है और न ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के साथ मित्रता का जैसा निर्वाह किया वैसा उदाहरण अन्यत्र देखने को कभी नहीं मिलता। सुदामा इतने निर्धन थे कि उनके पास दो वक्त के भोजन की व्यवस्था भी नहीं होती थी। महीने में कई बार उन्हें और उनके परिवार को केवल जल पीकर ही रहना पड़ता था परंतु फिर भी उनके मन में असंतोष नहीं था और न ही कभी किसी से याचना करने का भाव हृदय में जागृत हुआ। 
जब सुदामा श्रीकृष्ण के महल के द्वार पर पहुंचे तब सुदामा ने पहरेदार को अपना परिचय दिया। सुदामा पर पहरेदारों को विश्वास नहीं हुआ पर जब उन्होंने द्वारकाधीश कृष्ण को सुदामा का संदेश दिया तो श्रीकृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए द्वार पर आए और सुदामा को गले लगाया। आंसुओं से चरण पखार दिए। सुदामा द्वारा भेंट में लाए गए चावलों को श्रीकृष्ण ने परिवार सहित प्रेम से खाया और बदले में सुदामा को अनंत ऐश्वर्य प्रदान किया। अपने जैसी ही भाव द्वारका नगरी बना दी। सुदामा जी ने कहा ब्राह्मण को ज्ञान का दान करना चाहिए उसका विक्रय नहीं करना चाहिए। 
यह प्रवचन मानपुर फेज में लाडली सरकार महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के विराम दिवस पर परमभत सुदामा के चरित्र की भावपूर्ण कथा सुनाते हुए कहे। अंत में श्री लाडली सरकार ने भगवान दत्तात्रेय द्वारा 24 गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने की कथा सुनाई। अंत में भागवत कथा सुनाते हुए कथा का विराम किया। 
कथा में परशुराम लोदी, ब्रजेश उपाध्याय, निलेश ओझा, संजय धुश्रकर एवं समस्त मानपुर फेज 1 वासियों ने भागवत जी की आरती उतारी। आरती के बाद भंडारे का आयोजन किया गया।