नृत्य और गीत गाकर मनाया सरहुल पर्व

Apr 24 2024

ग्वालियर। उरांव एवं अन्य आदिवासी समाज संगठन समिति के तत्वाधान में आदिवासी समाज का मुख्य पर्व सरहुल (खद्दी पर्व) शहर में पारंपरिक तरीके से मनाया गया। इस मौके पर सरना माय धरती माता का देव स्थान जिगसोली में पारंपरिक तरीका से पूजा अर्चना की गई। साथ ही मांदर की थाप पर समाज के लोगों ने मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। उरांव समाज के सचिव रामेश्वर राम पटेल ने बताया कि सरहुल पर्व के अवसर पर सुबह जिगसोली स्थित सरना स्थल पर पुजारी रघुवीर भगत ने सरई फूल व पवित्र जल से मां सरना देवी की पूजा की। शाम को गांधी रोड किरार भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें उरांव आदिवासी समाज के युवक युवतियों ने नृत्य, गीत गाकर आराध्य देव आदिदेव को खुश किया। इसके बाद संस्था के संरक्षक महेश राम भगत, सचिव रामेश्वर राम पटेल, अध्यक्ष जगपति भगत, कोषाध्यक्ष जतरु भगत, उप सचिव गुरुचरण राम भगत, बैगा रघुवीर भगत, सुखदेव भगत, पतरु राम भगत ने समाज को संबोधित किया। अध्यक्ष जगपति भगत ने आभार व्यक्त किया।
माता पार्वती के आशीर्वाद के लिए रातभर किया जागरण
वहीं रात में भक्तों ने माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की और रात्रि जागरण किया। जागरण के दौरान चांद तारों का गुणगान किया। कार्यक्रम में गेंदों भगत, मनमति भगत, ललमंती, संजीता, बसंती, ऊषा, जीवन्ति, जिरमैत, मंजू, फूलमणि, फिरनी, बालस्पति, गंगोत्री, महेश्वरी, कमला, सिद्धेश्वरी, अमरबलिमा, रामेश्वरी, दीप, सरस्वती, उर्मिला, गायत्री, सियामनी आदि उपस्थित रहे।
शौर्य व मेहनत का प्रतीक है लाल रंग-पटेल
इस अवसर पर संस्था के सचिव रामेश्वर राम पटेल ने बताया कि उरांव जनजाति समाज के झंडे का रंग सफेद होता जिसमें लाल रंग से चांद और सूरज बने होते हैं। झंडे का सफेद रंग शांति का एवं उसमें दिया लाल रंग शौर्य व मेहनत का प्रतीक है। सरना पूजा के पश्चात ही खेतों में खाद देना एवं बीज की बोने का कार्य किया जाता है।