महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए मौर किए विसर्जित

Sep 21 2023

ग्वालियर। मोरियाई छठ का पर्व गुरुवार 21 सितंबर को मनाया गया। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्टि को मोरियाई छठ कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। इसे सूर्य षष्ठी व्रत या मोरियाई छठ के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य के अनुसार मोरियाई छठ के दिन सूर्य उपासना कर व्रत रखा जाता है तथा जिन परिवारों में विवाह संपन्न हुए हैं।
उस परिवार के सदस्य मौर छठ के दिन दूल्हा, दुल्हन के मोर, मंडप एवं सामग्री को मंगल गीत गाते हुए किसी तालाब में सिराहते हैं। इसके लिए शहर के तालाबों पर मेला लगता है। जिसमें शहर के भदावन, मचकुंड, सागरतल जनक ताल, तिघरा, वीरपुर बाधं पर मेला रहता है।