क्षमा मांगने की नहीं स्वयं के अंदर उतारने की आवश्यकता है-गणिनी आर्यिकाश्री

Sep 19 2023

ग्वालियर। शहर के दिगंबर जैन मंदिरों में दिगम्बर जैन समाज की ओर से पर्वराज पर्यूषण पर्व का महोत्सव आगाज मंगलवार को बड़े धूमधाम के साथ किया गया। दसलक्षण पर्व के आरंभ होने को लेकर जैन समाजजनों में अपूर्व उत्साह है। वही ज्ञान वात्सल्य बर्षायोग समिति के तत्वावधान में माधवगंज स्थित चातुर्मास स्थल दिगंबर पार्श्वनाथ जैन मंदिर में गणिनी आर्यिकाश्री अंतसमति माताजी ससंघ के सान्निध्य में पर्यूषण पर्व के पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म का शुभारंभ जैन समाज के श्रावकों ने भगवान जिनेंद्र का अभिषेक के साथ प्रारंभ किया।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि गणिनी आर्यिकाश्री अंतसमति माताजी के सानिध्य विधानचार्य राजकुमार जैन के मार्ग दर्शन में पर्यूषण पर्व पर इंद्रो ने उत्साह के साथ हाथों में कलशो को लेकर भगवान जिनेंद्र का जयकारों के साथ अभिषेक किया। 
गणिनी आर्यिकाश्री अंतसमति माताजी ससंघ के सानिध्य में सुबह इंद्र-इंद्राणियो ने पीले वस्त्र धारण कर मुकुट माला पहनाकर नित्य नियम पूजा, दसलक्षण पूजा, उत्तम क्षमा धर्म पूजन भक्तिभाव के साथ संगीतकार पार्टी की मधुर ध्वनि पर इंद्र-इन्द्राणियों ने भक्ति नृत्य करते हुए भगवान जिनेंद्र के समक्ष महाअर्ध्य समर्पित किए।
विश्व शांति के लिये प्रबल सूत्र है क्षमा धर्म:गणिनी आर्यिकाश्री
गणिनी आर्यिकाश्री अंतसमति माताजी ने उत्तम क्षमा पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि क्षमा, धर्म, विश्व शांति का प्रबल मंत्र है। क्रोध न करें इसी का नाम क्षमा है, क्षमा मांगने की नहीं स्वयं के अंदर उतारने की आवश्यकता है। जैसे रूप का आभूषण गुण है, गुण का आभूषण ज्ञान है, ज्ञान का आभूषण क्षमा है ऐसे क्षमा धर्म को हमें अपने जीवन में हरपल अपनाना है वर्तमान में जो विश्व व्यापी समस्यायें जड़वत हैं छोटी-छोटी बातों में अहम् के कारण एक देश दूसरे देश से युद्ध की बात सोचते हैं और धमकियां देने लगता है, क्षमा धर्म को अपनाने से यह समस्या स्वमेव ही दूर हो जायेगी। विश्व शांति के लिये प्रबल सूत्र है क्षमा धर्म।  
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि इन 10 दिनों में जैन से जिन बनने के लिए पर्यूषण महापर्व में श्रावक-श्राविकाएं नियम और संयम का पालन करते हुए एकासन द्वारा आत्मा को कसने का उपक्रम किया जाता है। पर्यूषण पर्व आत्मा के अनुसंधान का पर्व है। नियम, व्रत और उपवास से मन को दृढ़ बनाया जाता है। एकासन में श्रावक-श्राविकाएं एक स्थान पर बैठकर मौन पूर्वक भोजन करते हैं। पर्युषण पर्व के दौरान श्रावकों को नियम और संयम से रहते हैं साथ ही आकुलता न हो इसके लिए शक्ति अनुसार उपवास करते हैं।