चित्र से बनता है चरित्र: पचौरी* भरतमुनि जयंती समारोह आयोजित ग्वालियर। चित्र से चरित्र बनता है। इसलिए फिल्में ऐसी बननी चाहिए जिससे समाज और देश में नैतिकता के साथ राष्ट्रीयता को बढ़ावा मिले। जब शास्त्रों का सम्मान नहीं होगा तो ज्ञान का भी विस्तार नहीं होगा। ऐसे में मनुष्य केवल भोजन करने और संतानोत्पत्ति करने का यंत्र बनकर ही रह जाएगा। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.उमाशंकर पचौरी ने नई सडक़ स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकानंद सभागार में आयोजित भरतमुनि समारोह में मुख्यवक्ता के रूप में कही। चित्र भारती एवं वंदे मातरम समूह ग्वालियर द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ.आलोक शर्मा ने की। विशेष अतिथि पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया, वंदेमातरम समूह के संरक्षक यशपाल तोमर, चित्र भारती के प्रांत सह संयोजक दिनेश चाकणकर थे। मुख्य वक्ता डॉ.पचौरी ने कहा कि नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी को नाट्यशास्त्र कहते हैं। इस जानकारी का सबसे पुराना ग्रंथ भी नाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है। जिसके रचयिता भरत मुनि थे। भरत मुनि का जीवनकाल 400 ईसापूर्व से 100 ई. के मध्य किसी समय माना जाता है। संगीत, नाटक और अभिनय के सम्पूर्ण ग्रंथ के रूप में भारतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता, रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। 37 अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच, अभिनेता, अभिनय, नृत्यगीत वाद्य, दर्शक, दशरूपक और रस निष्पत्ति से सम्बन्धित सभी तथ्यों का विवेचन किया है। भरत के नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है। मुख्य वक्ता डॉ.पचौरी ने कहा कि भारतीय परंपरा की बात करें तो मदनोत्सव या बसंतोत्सव का प्रारंभ माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी यानी बसंत पंचमी से होता है। भारतीय संस्कृति के वैलेंटाइन भगवान श्रीकृष्ण हैं। विशेष अतिथि पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया ने कहा कि हमें अपनी

Feb 04 2023