मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज ने न्यूरोसर्जिकल तरक्की के बारे में एक संवाद सत्र का आयोजन किया और ओपीडी सेवाएं शुरू करने की घोषणा की.एडवांस्ड स्पाइनल प्रक्रियाओं से भारतीय बास्केटबॉल के एक खिलाड़ी को फिर से खेलने में मदद मिली परिधि हॉस्पिटल, ग्वालियर के सहयोग से न्यूरोसाइंस ओपीडी सेवाएं शुरू की गईं शुरुआती स्तर पर डायग्नोसिस और सही समय पर इलाज कराने से भविष्य की परेशानियों से बचा जा सकता है

Mar 12 2022

 ग्वालियर, 12 मार्च  मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करने वाली न्यूरोलॉजी संबंधी बढ़ती बीमारियों को देखते हुए देश के अग्रणी स्वास्थ्य संस्थान मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल पटपड़गंज, नई दिल्ली ने आज एक संवाद सत्र का आयोजन किया, जिसमें शहर के ही परिधि हॉस्पिटल के सहयोग से विशेष न्यूरोसाइंस ओपीडी सेवाएं शुरू करने की भी घोषणा की गईन्यूरो सर्जरी की ओपीडी परिधि हॉस्पिटल, सिटी सेंटर, ग्वालियर में सुबह 10 बजे दोपहर 2 बे तक हर महीने के चौथे शनिवार को खुलेगी। मैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में न्यूरोसाइंस के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह भदौरिया हर महीने ओपीडी संचालन के लिए खुद मौजूद रहेंगे। संवाद सत्र आयोजित करने का मकसद मस्तिष्क और रीढ़ की समस्याओं समेत किसी तरह की समस्या के लिए उपलब्ध आधुनिक न्यूनतम शल्य चिकित्सा के बारे में जानकारी बढ़ाना हैमैक्स हॉस्पिटल पटपड़गंज में न्यूरोसाइंस के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह भदौरिया ने इस मौके पर लोगों को संबोधित किया और छोटे तथा मझोले शहरों के लोगों में मस्तिष्क तथा रीढ़ संबंधी समस्याओं की बढ़ती घटनाओं के बारे में बताया। साथ ही सभी आयुवर्ग के लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई गई। जाने—माने अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी हर्षवर्धन सिंह तोमर के सफल इलाज के बारे में बताया गया कि उनकी रीढ़ में पेरिन्यूरल सिस्ट हो गया था जिसका सफल इलाज होने के बाद वह फिर से बेहतर जिंदगी में लौट आए21 वर्षीय हर्षवर्धन को पिछले तीन महीने से कमर के निचले हिस्से में तकलीफ थी जो कम नहीं हो रही थी। पिछले एक सप्ताह से बीमारी की गंभीरता और बढ़ गई थी। दर्द इतना बढ़ गया था कि इसका प्रसार दाहिने पैर की पिंडली तक पहुंच गया था। विस्तृत जांच और एमआरआई से पता चला कि कमर के पिछले हिस्से में गांठ जैसा जख्म था जिसे पेरिन्यूरल सिस्ट कहा जाता है। पेरिन्यूरल सिस्ट की स्थिति में रीढ़ की नली की नसों में बनी गांठ में तरल पदार्थ भर जाता हैडॉ. विक्रम सिंह भदौरिया ने कहा, 'इस तरह के सिस्ट का इलाज नहीं होने से स्थायी रूप से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होने, तेज दर्द, मूवमेंट डिसआॅर्डर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे खोपड़ी भी असामान्य तरीके से बढ़ने लगती है। सिस्ट के आकार और स्थान को देखते हुए मरीज को एल5 लैमिना फेनेस्ट्रेशन और पेरिन्यूरल सिस्ट निकालने की सलाह दी गई। छोटा सा चीरा लगाते हुए गांठ से तरल पदार्थ निकालने के लिए यह न्यूनतम कट वाली, सुरक्षित और कीहोल प्रक्रिया होती है। सर्जरी सफल रही और हमारी टीम पूरी सिस्ट निकालने में सफल रही। आॅपरेशन के बाद मरीज की मानसिक स्थिति भी स्थिर हो गई और दिमागी रूप से सचेत होने के बाद वह खाने—पीने लगा तो अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कई मरीज ओपन और परंपरागत सर्जरी की जटिलताओं के कारण घबराते हैं लेकिन हाल की तरक्की की बदौलत स्पाइनल सर्जरी न्यूनतम शल्यक्रिया और 100 फीसदी सुरक्षित रहती है जिसमें कम से कम रक्तस्राव तथा जल्दी रिकवरी मिलती है। इसमें सौंदर्य भी बरकरार रहता है और हड्डी या मांसपेशी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता।'