चायनीज और चंबल के चार कछुये बरामद, 200 से 400 रुपए में
Mar 21 2021
ग्वालियर। हजीरा स्थित पाताली हनुमान मंदिर के पास फिश एक्यूरियम की दुकान से वनविभाग की टीम ने रविवार की सुबह शिडयूल वन प्राणी के चार कछुओं के सहित एक शातिर तस्कर को गिरफ्तार किया। जिसे रविवार की शाम को न्यायालय में सुपुर्द कर जेल भेज दिया। आरोपी से पूछताछ करने पर पता चला कि वह शिकारियों से 200 रुपए में एक कछुआ खरीदता था और 600 से 700 रुपए में बेचता था। पकड़े गए आरोपी ने अन्य दुर्लभ वन्य प्रणियों के अंगों की भी तस्करी की है। बीते तीन माह पहले मुरार भूरा पंसारी कांड के मुख्य आरोपी ने रिमांड के दौरान प्रभु सपेरे और उक्त तस्कर शंकरलाल बाथम का नाम लिया था।
वन विभाग की टीम ने रविवार को सुबह के समय दलबल के साथ हजीरा रेशममील निवासी शंकरलाल बाथम पुत्र अलकेश बाथम के यहां कछुओं की खरीद फरोख्त की शिकायत पर दविश दी। इस दौरान एक वन रक्षक बघेल को कुछ पैसे देकर कछुआ खरीदने के दुकान पर भेजा, तो वह कछुआ का सौदा करने लगा और पक्का होते ही वनविभाग की टीम ने आरोपी को दबोच लिया। दुकान से शिडयूल वन प्राणी के चार कछुये जब्त हुये हैं। जिसमें एक कछुआ चायनीज अलबीनो है और दूसरा कछुआ इंडियन रूफ टर्टल और दो कछुये इंडियन टेंट टर्टल प्रजाति के हैं। ग्वालियर एसडीओ राजीव कौशल ने बताया कि अलबीरो कछुआ चायनीज है, जबकि अन्य दो प्रजाति के कछुये हैं वो चंबल में पाये जाते हैं। संभवत: छोटे शिकारी चंबल नदी से पकड़कर इसे तस्करी के लिये लाते हैं। पूछताछ पर तस्कर ने बताया कि अलबीरो टर्टल उसने एक दिन पहले ही 1500 रुपए में मुम्बई से मंगाया था। आमतौर पर यह कछुआ वह नहीं बेचता है, लेकिन ऑन डिमांड यह मंगाया गया था। जिसने कछुआ मंगाया था उसका नाम भी उसने वन विभाग को बता दिया है।
20 नाखून कछुआ की भारी मांग
पकड़े गए शिकारी ने बताया कि कुछ दिनों से 20 नाखून वाला कछुआ की मांग काफी बढ़ी रही है, जिसके चलते उसने भी यह धंधे में दिमाग लगा लिया। आम कछुआ 500 से 600 रुपए में बिक जाता है, लेकिन 20 नाखून का कछुआ 2-2 हजार में बिकता है। लोगों का मानना होता है कि ऐसे कछुए को घर में रखने से बरकत होती है, धन बढ़ता है। उसने तीन साल से कछुआ बेचने की बात कुबूली है। अब तक वह आधा सैकड़ा से ज्यादा कछुआ बेच चुका है।
भूरा पंसारी प्रकरण से जुड़े हैं तार
वनविभाग के सूत्रों ने बताया कि मुरार के भूरामल पंसारी की दुकान पर वन विभाग व दिल्ली से आई एसटीएफ की टीम ने दबिश देकर दुर्लभ वन प्राणियों के अंगों के तस्करी के रैकेट का खुलासा किया था। उसमें पकड़े गए भूरा पंसारी ने अपने भतीजे आशु खंडेलवाल का नाम लिया था। आशु ने एक प्रभु सपेरा का नाम लिया था। जब आरोपी प्रभु सपेरे से पूछताछ की गई तो रेशम मिल हजीरा निवासी शंकरलाल बाथम पुत्र अल्केश बाथम का नाम लिया था तभी से वनविभाग की टीम सच्चाई का पता लगाने के लिये कछुआ तस्कर शंकर बाथम पर निगाह रखी हुई थी।
कार्रवाई में इनकी रही मुख्य भूमिका
उक्त कार्रवाई में ग्वालियर रेंजर सुखदेव शर्मा, आरए अनिल बाथम, डिप्टी रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी, राजेन्द्र शर्मा, देवेन्द्र तोमर, राम कुमार यादव, मुरारीलाल राजौरिया, वन रक्षक बघेल, नीलेश पचौरी एवं सुरक्षा श्रमिक आदि की सराहनीय भूमिका रही।
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